By रेनू तिवारी | Nov 04, 2025
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। गौरतलब है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की है कि वह अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए मंगलवार (4 नवंबर) को कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगी।
चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की है कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का दूसरा चरण पश्चिम बंगाल सहित उन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा, जहाँ अगले साल चुनाव होने हैं। एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगी। मतदाता सूची का मसौदा 9 दिसंबर को प्रकाशित किया जाएगा और अंतिम सूची 7 फरवरी को जारी की जाएगी।
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने से एक दिन पहले राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने आखिरी क्षणों की तैयारी के तहत सोमवार को सभी जिलाधिकारियों के साथ एक बैठक की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के एसआईआर के लिए घर-घर जाने के दौरान उनकी सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
बीएलओ और अन्य अधिकारियों को बिना किसी डर के मंगलवार से घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने और इस प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सीईओ ने सभी जिलाधिकारियों के साथवर्चुअल बैठक की और कल एसआईआर की औपचारिक शुरुआत होने से पहले ज़रूरी निर्देश दिए।’’
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘घर-घर जाकर विवरण जुटाने का कार्य चार नवंबर से चार दिसंबर तक किया जाएगा...।’’ उन्होंने कहा कि 2002 में किये गए एसआईआर के आधार पर लोगों के विवरण का सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मतदाता इसके लिए फॉर्म ऑनलाइन भी भर सकते हैं।
शनिवार को कोलकाता और कई जिलों में बीएलओ प्रशिक्षण सत्रों के दौरान व्यवधान की खबरों के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया। जानकारी के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों ने आधिकारिक ड्यूटी की स्थिति, काम के घंटे और सुरक्षा कवर को लेकर आपत्ति जताई। बीएलओ के रूप में नियुक्त कई शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उनके स्कूलों ने उन्हें प्रशिक्षण के घंटों के दौरान "अनुपस्थित" चिह्नित किया। उन्होंने मांग की कि उन्हें उन दिनों के लिए "ड्यूटी पर" चिह्नित किया जाए। शिक्षकों ने प्रशिक्षण सत्रों के दौरान केंद्रीय सुरक्षा कवर की भी मांग की और चेतावनी दी कि वे पर्याप्त सुरक्षा के बिना काम नहीं करेंगे। कई महिला शिक्षकों ने शाम के बाद बिना सुरक्षा कवर के काम करने से इनकार कर दिया। बड़ी संख्या में बीएलओ ने ड्यूटी के समय से परे काम करने के लिए मजबूर किए जाने का भी मुद्दा उठाया। हालांकि, चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है।