आकर्षण का केंद्र बनी सौर ऊर्जा से चलने वाली ड्राइवर रहित स्मार्ट बस

By उमाशंकर मिश्र | Jan 08, 2019

जालंधर। (इंडिया साइंस वायर): वायु प्रदूषण और ऊर्जा की खपत परिवहन तंत्र से जुड़ी दो प्रमुख समस्याएं हैं। हालांकि, सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित वाहनों का उपयोग इन समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के छात्रों ने इस जरूरत को समझकर सौर ऊर्जा से चलने वाली ड्राइवर रहित एक स्मार्ट बस डिजाइन की है। जालंधर में चल रही 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आए लोगों के लिए यह सोलर स्मार्ट बस आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

 

एलपीयू में इस परियोजना के प्रमुख मनदीप सिंह ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि ‘मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभागों के करीब 300 छात्रों ने कई प्रोफेसरों और विशेषज्ञों की देखरेख में इस बस का निर्माण किया है। पूरी तरह चार्ज होने के बाद यह बस 60 से 70 किलोमीटर तक चल सकती है और ब्लूटूथ एवं जीपीएस के जरिये इसकी निगरानी की जा सकती है। बस की अधिकतम रफ्तार 30 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसमें 10 यात्री सवार हो सकते हैं।’ 

 

इसे भी पढ़ेंः मौजूदा तकनीकों का टाइम कैप्सूल सौ वर्षों के लिए जमीन में दफन

 

इस बस की सबसे खासियत यह है कि इससे न तो प्रदूषण होता है और न ही इसमें सवार होने पर किसी दुर्घटना का डर रहता है। इस बस में वायरलेस संकेतों पर आधारित तकनीक का उपयोग किया गया है। इन संकेतों को अल्ट्रासोनिक और इंफ्रारेड सेंसरों की मदद से पकड़ा जा सकता है। बस के रास्ते में जब भी कोई अवरोध आता है तो इसमें लगाए गए खास सेंसर सक्रिय हो जाते हैं और बस को तत्काल रोक देते हैं। मनदीप सिंह के अनुसार, इस स्मार्ट बस को बनाने में करीब 6 लाख रुपये की लागत आयी है।

 

इसके निर्माण से जुड़े शोधकर्ताओं के अनुसार, भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस बस को डिजाइन किया गया है। इस स्मार्ट बस का इंजन और इसमें लगी बैटरी सौर ऊर्जा के प्रति अनुकूलित है। करीब दस मीटर के दायरे से इस चालक रहित बस को नियंत्रित किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बस का उपयोग हवाई अड्डों, हाउसिंग सोसायटी, औद्योगिक संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में किया जा सकता है।

 

इसे भी पढ़ेंः भारत में वैज्ञानिक शोध को आम लोगों से जोड़ने की ज़रूरत

 

एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल के अनुसार, ‘यह बस छात्रों की एक अनूठी परियोजना पर आधारित है। इसका निर्माण छात्रों की एडवांस तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। एलपीयू के छात्रों की अन्य तकनीकी परियोजनाओं में फ्लाइंग फार्मर, फॉर्मूला-1 कार और गो-कार्ट्स इत्यादि शामिल हैं।’ फ्लाइंग फार्मर सेंसर आधारित वायरलेस उपकरण है और इसका उपयोग मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में खेतों के सर्वेक्षण के लिए किया जा सकता है।

 

(इंडिया साइंस वायर)

प्रमुख खबरें

550 अरब रुपये का बकाया, पाई पाई वसूलने की शुरू हुई कार्रवाई, जिनपिंग ने शहबाज को दिया अल्टीमेटम

मुसलमानों के लिए बरकरार रखेंगे 4% आरक्षण, Andhra Pradesh में BJP की सहयोगी TDP का बड़ा ऐलान

Jammu Kashmir: आतंकवादी संगठन से जुड़ने जा रहा था युवक, पुलिस ने मौके पर ही धड़ दोबाचा

पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक एजेंडा, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को भारत ने किया खारिज