खेल पुरस्कारों में विलंब की संभावना, राष्ट्रपति भवन के निर्देशों का इंतजार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 30, 2020

नयी दिल्ली। खेल मंत्रालय के अधिकारी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस साल राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह में एक या दो महीने का विलंब होने की संभावना है लेकिन अंतिम फैसला राष्ट्रपति भवन से दिशानिर्देश मिलने के बाद ही किया जाएगा।राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के तहत भारत के राष्ट्रपति हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कार देते हैं। राष्ट्रीय खेल पुरस्कार महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के मौके पर दिए जाते हैं। लेकिन महामारी के कारण इस साल इनमें विलंब हो सकता है लेकिन अंतिम फैसले का इंतजार है। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, ‘‘हमें अब तक राष्ट्रपति भवन से कोई निर्देश नहीं मिला है। हमें खेल पुरस्कारों को लेकर सूचना मिलने का इंतजार है। इसलिए इस समय यह कहना काफी मुश्किल है कि पुरस्कार कब दिए जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के कारण अभी देश भर में लोगों के सार्वजनिक तौर पर जुटने पर प्रतिबंध हैं इसलिए राष्ट्रपति भवन में किसी समारोह का आयोजन नहीं किया जा रहा।’’

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अधिकारी ने कहा, ‘‘अतीत में भी पुरस्कार समारोह का आयोजन विलंब के साथ किया गया है इसलिए अगर 29 अगस्त को समारोह नहीं होता है तो हम एक या दो महीने बाद भी इसका आयोजन कर सकते हैं। फिलहालसभी का स्वास्थ्य और सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।’’ महामारी के कारण खेल मंत्रालय को पिछले महीने पुरस्कारों के लिए आनलाइन आवेदन जमा कराने की समय सीमा बढ़ानी पड़ी थी। खिलाड़ियों को स्वयं को नामांकित करने की स्वीकृति भी दी गई थी। खुद को नामांकित करने की स्वीकृति मिलने के कारण पुरस्कारों के लिए बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं लेकिन खेल मंत्रालय ने विजेताओं का फैसला करने के लिए अब तक समिति का गठन नहीं किया है जबकि निर्धारित समय के अनुसार समारोह के आयोजन के लिए सिर्फ एक महीने का समय बना है। पता चला है कि मंत्रालय ने अब तक आवेदनों की समीक्षा शुरू नहीं की है और विलंब होना लगभग तय है। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘‘इस साल निश्चित तौर पर खेल पुरस्कारों में विलंब होगा क्योंकि आवेदनों की समीक्षा मुश्किल काम है जो अभी शुरू नहीं हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पुरस्कार निश्चित तौर पर दिए जाएंगे। हकदार खिलाड़ियों और कोचों को पुरस्कार से वंचित करने का सवाल ही नहीं उठता।

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