फिर चला स्टालिन का जादू, तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में शानदार जीत

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 03, 2021

चेन्नई। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने 2019 लोकसभा चुनाव के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराते हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बेहतरीन जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव में द्रमुक ने 127 सीट जीत ली हैं। विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को शुरू हुई मतगणना सोमवार को जारी है और रुझानों के अनुसार द्रमुक छह और सीटों पर आगे चल रही है। यदि द्रमुक इन छह सीटों को भी जीत लेती है और उसकी सहयोगी कांग्रेस की जीती सीट भी मिला ली जाएं तो 234 में से ये कुल 153 सीटें हो जाएंगी। विधानसभा की दो तिहाई सीटों पर जीत हासिल कर 68 वर्षीय स्टालिन ने 2019 में लोकसभा चुनाव के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराया है। द्रमुक और उसके सहयोगियों ने लोकसभा में राज्य की 39 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद पार्टी ने 2019 के अंत में ग्रामीण निकाय चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। 

 

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विधानसभा चुनाव में द्रमुक को यह जीत यूं ही नहीं मिली। इसके लिए स्टालिन ने कड़ी मेहनत की और विभिन्न मामलों पर केंद्र सरकार और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए लोगों से संपर्क किया। उन्होंने विभिन्न मामलों को उठाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र को ‘‘जन-विरोधी करार दिया’’, फिर भले ही वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मामला हो, नागरिकता संशोधन कानून हो, कृषि कानून हों या शिक्षा को संविधान की राज्य सूची में फिर से लाने के लिए आवाज उठाने की बात हो। स्टालिन ने कहा कि भारत सरकार ने राज्यों के अधिकारों को कुचला और वह तमिल संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने हालिया संयुक्त राष्ट्र बैठक में श्रीलंका के खिलाफ मतदान नहीं करके श्रीलंकाई तमिलों को धोखा दिया। स्टालिन ने मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी एवं उनके कैबिनेट सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों, नीट मामले और तूतीकोरिन में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 2018 में पुलिस गोलीबारी प्रकरण समेत विभिन्न मामलों पर अन्नाद्रमुक को घेरा। 

 

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स्टालिन ने आरोप लगाया कि अन्नाद्रमुक ने केंद्र की ‘‘चापलूसी’’ करके तमिलनाडु के हितों को ताक पर रखा। इसके अलावा द्रमुक की चुनाव प्रचार मुहिम भी बहुत सोच-समझकर तैयार की गई थी और यह चुनाव से कई महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी। अन्नाद्रमुक ने जब भाजपा से हाथ मिलाने की घोषणा की, तो स्टालिन ने अन्नाद्रमुक पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘अन्नाद्रमुक के एक भी उम्मीदवार को जीत नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि यदि अन्नाद्रमुक का कोई उम्मीदवार जीतता है, तो यह केवल भाजपा की जीत होगी।

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