By संतोष उत्सुक | Sep 16, 2025
कल शक्कर खरीदने गया तो समझदार दुकानदार ने आकर्षक पैक में जैविक शक्कर पेश की, जैविक को अंग्रेज़ी में आर्गेनिक कहते हैं। आजकल आर्गेनिक के नाम पर काफी कुछ बिक रहा है। इसलिए मैंने देसी शक्कर मांगी जो सदियों से पंजाब में गन्ने के खेतों में बनाई जाती है। उस शक्कर को भी दर्जनों कम्पनियां आकर्षक पैकिंग में बेच रही हैं। घटिया किस्म के पालिथीन में पैक कर भी बिक रही है और खुली भी उपलब्ध है। शक्कर के भी कई रंग ढंग हैं। सुना है भूरे रंग में मिलने वाली शक्कर वास्तव में कम प्रसंस्कृत यानी कम प्रोसेस्ड होती है। गुड़ की मिठास बढाने के लिए चीनी डाली जा रही है तो शक्कर में भी डाली जा सकती है।
शक्कर को कई बार मज़ाक में शक कर भी बोल देता हूं क्यूंकि पता नहीं चलता बढ़िया कौन सी है। मेरी पत्नी को संतरी से रंग की शक्कर पसंद नहीं है। इसलिए जिस रंग की पसंद है एक पैक खरीद लिया। शक्कर तो खाने के बाद ही पसंद आएगी, फिलहाल उसकी पैकिंग पर छपी सूचनाओं ने दिमाग हिला दिया। लगा, कम्पनी वाले सामान बढ़िया दें न दें प्रवचन बहुत अच्छा करते हैं । सबसे पहले छापा, ‘नया पैक’ इसका मतलब कि कम्पनी ने ग्राहकों को पटाने के लिए पैक की डिजाइनिंग दोबारा करवाई है। उसके नीचे बड़े अक्षरों में लिखा ‘प्रकृति की गोद’, उसके नीचे लिखा, ‘हम गुणवत्तापूर्ण बनाते हैं’। चार भाषाओँ में लिखा, ‘देसी शक्कर’, ‘देसी शक्कर’ ‘देसी शक्कर’ ‘देसी शक्कर’। सबसे बड़े आकार में अंग्रेज़ी में लिखा जिसे हिंदी मंथ में पढ़कर समझ में आया कि अंग्रेज़ी कितनी प्रसिद्ध और स्वीकृत है। एक मुहर जैसी बनाकर छापा, ‘सौ प्रतिशत नेचुरल प्रोडक्ट, ओरिजिनल’।
आजकल अधिकांश चीज़ों में, नयापन, मौलिकता, शुद्धता, पारम्परिकता, प्राकृतिकता और गाय का दूध और शुद्ध देसी घी प्रवेश कर गया है। इस पैकेट पर भी कुछ ऐसी सूचनाएं छपी हैं जिनसे देसी गाय के शुद्ध घी की स्वास्थ्यवर्धक सुगंध आ रही थी। लिखा था, बिना किसी हानिकारक रासायनिक के, परम्परागत तरीके से तैयार, प्राकृतिक तत्वों और गाय के दूध से सफाई कर, गाय का देशी घी डाल कर स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाई गई है। गन्ने के सुन्दर स्कैच के नीचे लिखा है, ‘ताज़ा और बेहतरीन गन्नों से बनाई गई’। वह बात दीगर है कि खाने की चीज़ों में घटिया से बढ़िया किस्म के रंग भी शामिल किए जा रहे हैं और चीज़ों को खाने लायक समय तक बचाए रखने के लिए प्रिजर्वेटिव्स, जिन्हें हिंदी में संरक्षक कहते हैं, प्रयोग किए जा रहे हैं। यह तमाम सूचनाएं पैक के एक तरफ है।
दूसरी तरफ छपी सूचनाओं से समझ आता है कि एक किलो शक्कर की कीमत में दो किलो से ज्यादा चीनी आ सकती है। दिलचस्प यह है कि पैक पर देसी शक्कर के स्वास्थ्य लाभ भी लिखे हैं। हेमोग्लोबिन बढ़ाएगी, अर्थराइटस रोकेगी, पाचन सिस्टम को बेहतर बनाएगी, शरीर के हर हिस्से को नरिशमेंट देगी, ब्लड प्रेशर ठीक रखेगी। इस बारे नहीं लिखा कि प्रचार के बाद स्वाद में फंसे ग्राहक ने ज्यादा देसी शक्कर ज़्यादा खा ली तो शरीर का क्या होगा। ग्राहक शक्कर खाते हुए सूचनाओं की सचाई का मज़ा ले सकता है लेकिन कहीं कुछ तो कड़वा भी होगा। यहीं मेरे दिमाग ने कहा, शक कर।
- संतोष उत्सुक