सुनील दत्त की इस हीरोइन का करियर हुआ तबाह तो बन गई वेश्या, ठेले से ले जाया गया था श्मशान!

By रेनू तिवारी | Nov 18, 2019

नयी दिल्ली। सुनील दत्त बॉलीवुड के जाने-माने सुपरस्टार थे। सुनील दत्त की फिल्म मदर इंडिया ने ऑस्कर अवॉर्ड जीता था तब से सुनील दत्त का कद बॉलीवुड में और ऊंचा हो गया था। सुनील दत्त की फिल्म हमराज से बॉलीवुड में एक्ट्रेस विमी ने डेब्यू किया था। विमी को फिल्म हमराज से बॉलीवुड में नई पहचान मिली। विमी की फिल्म हमराज को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस फिल्म ने विमी को रातोंरात सुपरस्टार बना दिया। निर्देशक और निर्माता विमी को फिल्म में कास्ट करने के लिए उनके घर के चक्कर काटा करते थे। उनके पास फिल्मों की लाइन लगी थी। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ की विमी को वेश्या बनना पड़ा और अंतिम समय में उनके पार्थिव शरीर को ठेले से खींच कर श्मशान तक पहुंचाया गया।

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विमी ने जब बॉलीवुड में बतौर एक्ट्रेस एंट्री मारी तो उनकी शादी हो चुकी थी। विमी के पति कोलकता के बड़े कारोबारी थे। शादीशुदा होने का असर शुरूआत में विमी के करियर पर नहीं पड़ा था। शुरूआती दौर में विमी आते ही बॉलीवुड में चमकने लगी थीं। लेकिन देखते ही देखते वह सिनेमा से गायब होने लगी। विमी को फिल्मों में काम मिलना कम हो गया था। काम पाने के लिए विमी ने शरीर को एक्पोज करने का फैसला लिया। बॉडी एक्पोज करने के फैसले से विमी के पति सहमत नहीं थे लेकिन पति के खिलाफ जाकर विमी ने फैसला लिया। विमी के इस फैसले से नाराज होकर उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया। एक्सपोज करने के बाद भी विमी को काम नहीं मिला और पति का साथ भी छूट गया। विमी अब तनाव में रहने लगी थी। इस दौरान विमी की मुलाकात जॉली नाम के प्रोड्युसर से हुई लेकिन कुछ दिन साथ रहने के बाद जॉली भी विमी से अलग हो गये। 

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जॉली से अलग होने के बाद विमी की हालत बेहद खराब हो गई थी। उनके पास पैसे की तंगी थी। कहते है कि भूख के कारण विमी वेश्या बन गयी थी। हालत बेहद खराब होने के कारण उनका शरीर भी अब उनका साथ छोड़ने लगा था। गुमनामी और बदहाली के दौर से गुजर रही विमी की जिंदगी के आखिरी दिन नानावटी अस्पताल में गुजरे और आर्थिक तंगी के आगे बेबस होकर विमी की सांसों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। विमी इस कदर गुमनामी में चली गईं थीं कि कोई उनकी खोज खबर लेने वाला नहीं था। 

कहते हैं कि नानावटी अस्पताल में जब उनकी मौत हुई थी तो उनके साथ कोई नहीं था। विमी के पास इतने पैसे नहीं थे कि उनकी शव यात्रा निकल सके। विमी के शव को चार-पांच लोग मिलकर ठेले से श्मशान घाट तक ले गये थे।

 

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