By अभिनय आकाश | Sep 19, 2023
ये देश किसका है, आप झट से कहेंगे सबका है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई यहीं पर थोड़ा ठहरिए। हिंदू-मुस्लिम वाली बहस बहुत नई है, इसे शाम की टीवी डिबेट के लिए छोड़ देते हैं। इससे पहले वाली गुत्थी को समझना ज्यादा जरूरी है। आर्य और द्रविड़ वाली बहस, वो बहस जो पूछती है कि पहला भारतीय कौन है और वो कौन है जो बाद में आए। आक्रमणकारी कहलाए फिर बाद में यहीं के हो गए। 5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रही जे जयललिता की अंतिम यात्रा निकाली गई। भारत के दक्षिण राज्य की लेडी सिंघम माने जाने वाली महिला की अंत्योष्टि पर देश ही नहीं विदेशियों तक की निगाहें इस ओर थीं। अंत्योष्टि की प्रक्रिया शुरू हुई तो आंसुओं से भरी आंखों में कुछ सवाल भी उमड़ रहे थे। सवाल था कि हिंदू नाम वाली मुख्यमंत्री को आखिर दफनाया क्यों जा रहा है? आपको बता दें कि जे जयललिता की जब अंत्योष्टि हुई तो उन्हें दफनाया गया और फिर उनकी समाधि बना दी गई। ठीक यही दोहराव दो साल बाद भी देखने को मिला। जयललिता के सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी रहे एम करुणानिधि के निधन के बाद उनका भी दाह-संस्कार नहीं हुआ बल्कि उन्हें भी दफनाया गया। अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या माजरा है? इसके पीछे की वजह है जयललिता और करुणानिधि का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना। द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म की किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और संस्कृति या रिवाज को नहीं मानते हैं। जे जयललिता एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ही ब्राह्मणवाद का विरोध करके पड़ी थी। ब्राह्मणवाद के इस विरोध के प्रतीक के तौर पर द्रविड़ आंदोलन से जुड़े लोग दाह संस्कार के बजाए दफनाने की रीति अपनाते हैं। द्रविड़ आंदोलन की ये रीति इस बात की झलक देने के लिए काफी है कि उसका सनातन परंपरा से 36 का आंकड़ा रहा है।
उदयनिधि कौन से द्रविड़ मॉडल की बात कर रहे?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि, सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी के बाद विवादों में हैं। उन्होंने इसकी तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से की और इसके उन्मूलन की मांग की। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ उनकी टिप्पणियों पर नाराज हो गई है, जिन्होंने उदयनिधि की टिप्पणियों पर कड़ा विरोध जताया है और विपक्षी गुट इंडिया पर नफरत, जहर फैलाने और देश की संस्कृति पर हमला करने का आरोप लगाया है। उदयनिधि ने सवाल किया कि सनातन क्या है? इसका जवाब खुद देते हुए उन्होंने कहा कि सनातन का अर्थ है कुछ भी बदला नहीं जाना चाहिए औऱ सब कुछ स्थायी है। लेकिन द्रविड़ मॉडल बदलान की मांग करता है और सबी की समानता की बात करता है। अब सवाल है कि सनातन धर्म के संदर्भ में तमिलनाडु की राजनीति को कैसे समझा जाए? इसके लिए हमें इतिहास के पन्नों को खंगालना होगा।
तमिलनाडु की राजनीति और डीएमके का स्टैंड
द्रविड़ राजनीति, विशेष रूप से द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) द्वारा प्रचारित राजनीति, विचारधारा की प्रासंगिकता पर जोर देने के लिए बदलाव के दौर से गुजर रही है। यह बदलाव तब और अधिक स्पष्ट हो गया जब एमके स्टालिन ने 2021 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का पद संभाला। यह पुनः ब्रांडेड द्रविड़ राजनीतिक विचारधारा अपने पिछले संस्करण की तुलना में काउंटी की एकता और अखंडता के लिए और भी अधिक हानिकारक है। 5 मार्च, 2023 को एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कन्याकुमारी जिले के नागरकोविल में ऊपरी कपड़ा विद्रोह के 200 साल के जश्न में भाग लिया। वीसीके नामक चरमपंथी राजनीतिक संगठनों के नेता और एक सांसद, थिरुमावलवन भी बैठक में उपस्थित थे। इन नेताओं ने अपने भाषणों में सनातन धर्म को एक बुरी शक्ति और भारतीय समाज में सभी प्रकार की बुराइयों के पीछे एकमात्र कारण बताने की कोशिश की। इसे एक क्रूर विचारधारा के रूप में दर्शाया गया, जिसका उपयोग आज भी सामाजिक-राजनीतिक आधिपत्य और उत्पीड़न स्थापित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। अतः इन नेताओं की राय में सनातन धर्म को किसी भी कीमत पर परास्त करना होगा।