By अंकित सिंह | Oct 03, 2022
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव सभी को साथ लेकर चलने की बात करते हैं। एमवाई समीकरण की राजनीति करने वाली राजद पर लगातार सवर्णों की अनदेखी करने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं है। पार्टी सबकी है। इसके साथ ही उन्होंने एक बयान में कहा था कि हमें सबको साथ लेकर चलना है। हालांकि, दोबारा महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद की ओर से नीतीश कैबिनेट में शामिल ज्यादातर यादव और मुस्लिम समाज से ही देखे गए। हालांकि, यह बात भी सही है कि सवर्ण समाज के नेताओं को भी राजद की ओर से मंत्री पद के लिए आगे किया गया था। राजद की ओर से दो सवर्ण नेता सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह नीतीश सरकार में मंत्री बने थे।
बिहार में महागठबंधन की सरकार बने 2 महीने हुए हैं। इन 2 महीनों में इन दो मंत्रियों की छुट्टी हो चुकी है। यह दो मंत्री अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। कार्तिकेय सिंह को लेकर भाजपा जबरदस्त तरीके से हमलावर थी। कोर्ट में उनकी पेशी हो रही थी। कार्तिकेय सिंह भूमिहार समाज से आते हैं। वही कृषि मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे। सुधाकर सिंह भी अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। उनका इस्तीफा मंजूर भी हो गया है। सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। सुधाकर सिंह राजपूत समाज से आते हैं। ऐसे में इन दो के इस्तीफा देने के बाद राजद की ओर से जो दो सवर्ण नेताओं को नीतीश कैबिनेट में जगह दिलाई गई थी, उनकी विदाई हो चुकी है। ऐसे में सवाल ही उठ रहा है क्या तेजस्वी यादव का ए टू जेड समीकरण फेल हो गया?
हालांकि, नीतीश कैबिनेट में अभी भी सवर्ण मंत्री शामिल हैं लेकिन सभी जदयू कोटे से हैं। नीतीश कैबिनेट में अभी मौजूद सवर्ण मंत्रियों में देखें तो विजय चौधरी भूमिहार समाज से आते हैं। लेसी सिंह और सुमित सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं। वही संजय कुमार झा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। सवर्णों का साथ लेने के लिए ही राजद की ओर से एक भूमिहार और एक राजपूत मंत्री बनाया गया था। हालांकि अब लग रहा है कि कहीं ना कहीं इन दोनों की विदाई के बाद से तेजस्वी यादव को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा है। सुधाकर सिंह को लेकर तो आरजेडी और जदयू में कड़वाहट भी पैदा हो गई है। फिलहाल आरजेडी के कोटे से एक भी सवर्ण मंत्री नीतीश सरकार में नहीं हैं।