दूर रहकर भी कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के क्यों पास है गांधी परिवार? खड़के को आगे करना किस रणनीति का हिस्सा है

Mallikarjun Kharge
ANI
अंकित सिंह । Oct 3 2022 3:22PM

कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दोबारा बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ नेताओं का जमावड़ा हुआ, उसे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि अध्यक्ष का चुनाव कौन जीत नहीं जा रहा है।

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस बार हमने कांग्रेस में जारी हलचल को लेकर बातचीत की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि साल 2014 से ही कांग्रेस पर संकट मंडरा आया हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जहां संकट नहीं होता, वहां संकट खड़ा कर देते हैं। नीरज दुबे ने साफ कहा कि राजस्थान में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, संकट खड़ा करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन वहां संकट खड़ा कर दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने परिवारवाद की राजनीति पर प्रहार की और चुनाव में जो भी परिवारवाद की राजनीति करते हैं उन पार्टियों के हाल हुए, उसी के बाद गांधी परिवार ने साफ तौर पर फैसला लिया कि हम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराएंगे और इससे दूर भी रहेंगे। 

नीरज दुबे ने कहा कि भले ही गांधी परिवार चुनाव से दूर है। लेकिन कहीं ना कहीं उसका पार्टी पर नियंत्रण रहने वाला है। यही कारण है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता को चुनाव में आगे किया गया है। पहले अशोक गहलोत को आगे करने की बात थी। लेकिन अशोक गहलोत के पास अपना जनाधार है और शायद अशोक गहलोत गांधी परिवार के लिए खतरा बन सकते थे। इसी के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे किया गया। इसके साथ ही नीरज दुबे ने राजस्थान की घटना पर साफ तौर पर कहा कि अशोक गहलोत के इशारे पर ही सब कुछ हुआ। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अशोक गहलोत ने अपने तेवर दिखाए, उससे ऐसा लगा कि वह गांधी परिवार को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। गांधी परिवार के किसी आदेश को ना माना गया हो, यह हाल के दिनों में देखें तो पहली घटना लगती है। नीरज दुबे ने कहा कि पंजाब में भी हमने देखा लेकिन सोनिया गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा ले लिया था। लेकिन अशोक गहलोत के साथ ऐसा कुछ नहीं हो पा रहा है। 

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कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दोबारा बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ नेताओं का जमावड़ा हुआ, उसे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि अध्यक्ष का चुनाव कौन जीत नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि शशि थरूर भले ही दावा कर रहे हैं कि उनके साथ बहुत सारे लोग हैं। लेकिन नामांकन के दौरान उनके साथ कोई वरिष्ठ नेता नहीं दिखाई दिया। इतना ही नहीं, शशि थरूर तो जी 23 के सदस्य माने जाते हैं। लेकिन जी-23 के नेता भी उनके साथ नहीं खड़े दिखे। उन्होंने कहा कि नामांकन के दौरान जो स्थिति देखी गई, उससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि कांग्रेस के ही नेता एक दूसरे पर कितना अविश्वास करते हैं। नीरज दुबे ने इस बात को भी दोहराया कि मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर ऐसा लगता है कि वह गांधी परिवार के ही प्रतिनिधि के तौर पर अध्यक्ष रहेंगे। 


मोदी का राजनीतिक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात और राजस्थान का दौरा किया था। गुजरात चुनाव को लेकर उनका यह दौरा काफी मायने रखता है। यही कारण है कि हमने प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर निकल रहे राजनीतिक संदेश पर चर्चा की। नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाने के बाद से गुजरात का माहौल देखने को मिला, उससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वहां एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है। हालांकि, सीटें ऊपर-नीचे भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। इसीलिए वहां पूरी तरह से भाजपा का फोकस है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि बाकी के दल चाहे कुछ भी दावा करें। लेकिन भाजपा का संगठन वहां बहुत मजबूत है।

- अंकित सिंह

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