By अभिनय आकाश | Mar 26, 2020
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अक्सर ये दलील दी जाती है कि आखिर धर्म के आधार पर नागरिकता क्यों? राजनीतिक पार्टियां हो या देश के कई हिस्से में शाहीन जैसे प्रयोग की कवायद उनकी तरफ से यही इस कानून का विरोध करने की सबसे बड़ी वजह यही है। लेकिन इस कानून में मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने के पीछे सरकार का अपना तर्क है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मुस्लिम बहुल होने के चलते यहां पर किसी भी मुस्लिम का धर्म के आधार पर उत्पीड़न नहीं होगा, जबकि अल्पसंख्यकों के साथ इन देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न होता है। इसका सीधा सा उदाहरण अफगानिस्तान में हुए फिदायीन हमले में एक बार फिर देखने को मिला है। अफगानिस्तान में एक बार फिर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। अफगानिस्तान में सिखों की धार्मिक सभा चल रही थी। जहां पर जुटे लोगों पर कुछ बंदूकधारियों ने हमला कर दिया। इसमें करीब 27 सिख नागरिकों की मौत हो गई वहीं आठ लोग घायल हो गए। सभी लोग काबुल में सिखों के धार्मिक समागम के लिए पहुंचे थे।
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चार आतंकवादियों ने दिया अंजाम
अफगानिस्तान की राजधानी में काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के बाद वहां लोगों में दहशत है। खबरों के मुताबिक, जब यह हमला हुआ तो गुरुद्वारे के अंदर लगभग 150 लोग मौजूद थे। अचानक हमले के बाद लोगों को समझ नहीं आया कि क्या हुआ। इस हमले को चार आकंतवादियों ने अंजाम दिया था जिसे अफगानी सेना ने ढेर कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। फिलहाल सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है। वहीं तालिबान के प्रवक्ता वक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट करके कहा है कि तालिबान इस हमले में शामिल नहीं है।
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अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद पहला हमला
अमेरिका और तालिबान के बीच बीते दिनों हुए शांति समझौते के बाद यह पहला बड़ा हमला अफगानिस्तान में देखने को मिला है। बता दें कि दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते के बाद अमेरिका का लक्ष्य होगा कि वो चौदह महीने के अंदर अगानिस्तान से सभी बलों को वापस बुला ले। यह समझौता कतर के दोहा में हुआ था और दोनों पक्षों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
पीएम मोदी ने जताया दुख
धानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद के दौरान कहा, ’’आज काबुल में गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले से मन काफी दुखी है। मैं इस हमले में मारे गए सभी लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’
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गौर करने वाली बात है कि अफगानिस्तान में सिखों पर इस्लामिक स्टेट द्वारा किया गया ये हमला पहला नहीं है। इससे पहले भी जुलाई 2018 में इस्लामिक स्टेट ने सिखों और हिन्दुओं के काफिले पर हमला किया था। ये लोग अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जलालाबाद जा रहे थे। अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हुए इस हमले में उस वक्त 19 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी।
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अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रताड़ना की कहानी