पहले से ज्यादा बड़ी दिखेंगी बस और ट्रक, वाहनों की लंबाई-ऊंचाई बढ़ाने को सरकार ने दी मंजूरी

By अंकित सिंह | Jun 29, 2020

कोरोनावायरस संकट के बीच परिवहन क्षेत्र से जुड़ा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत नई कैटेगरी के वाहन की लंबाई और ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति दी जा सकती है। यह फैसला विशेष रूप से बसों और मालवाहक यानी कि ट्रकों को सड़कों पर यात्री और गुड्स कैरियर को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि परिवहन मंत्रालय ने गुड्स कैरियर के एक्सल लोड को बढ़ाने का फैसला लिया है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मंत्रालय ने यह फैसला लगभग 2 साल बाद लिया है जिससे मालवाहक वाहनों के एक्सल लोड में 25% की बढ़ोतरी हो सकती है। यानी कि ट्रकों को पहले की तुलना में अब अधिक भार उठाने की अनुमति दी जा सकती है।

 

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एक अधिसूचना के अनुसार पहले की तुलना में बसों की लंबाई भी ज्यादा हो सकती है। पहले बसें अधिकतम 12 मीटर की हो सकती थी परंतु अब इसे बढ़ाते हुए 13.5 मीटर किया गया है। ऐसा करने से अब बस के अंदर यात्रियों के बैठने की क्षमता बढ़ सकती है। इसमें लगभग 10 से 15% तक की वृद्धि देखी जाती है और इससे inter-state यात्रियों को फायदा होगा। सरकार का यह कदम गाड़ी मालिकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। इससे उनकी कमाई में वृद्धि हो सकती है। अधिसूचना में कहा गया है कि अगर किसी हेवी ड्यूटी वाले ट्रक में बंद लोड बॉडी है या आईएसओ सीरीज 1 फीट कंटेनर है तो इसकी कुल ऊंचाई 4.52 मीटर हो सकती है। वहीं दूसरी श्रेणी के हैवी ड्यूटी ट्रकों के लिए ऊंचाई अब 4 मीटर रखी गई है जो पहले की तुलना में 0.2 मीटर से ज्यादा है। अगर ट्रकों की ऊंचाई बढ़ती है तो जाहिर सी बात है कि इसी ऊंचाई तक सामान लोड करने की भी इजाजत दी जाएगी।

 

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कोरोना संकट के दौरान परिवहन क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों को इस फैसले से काफी फायदा होगा। साथ ही साथ माल वाहन में सुविधा भी मिलेगी। बसों की लंबाई बढ़ने से बस मालिकों की आमदनी में वृद्धि तो होगी ही इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग में भी मदद मिलेगी। लगभग 2 महीने तक सार्वजनिक क्षेत्र के परिवहन और प्राइवेट परिवहन कोरोनावायरस के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से बंद थे। परंतु सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद अब यह धीरे-धीरे परिवहन चलने लगे है। हालांकि पहले की तुलना में अभी भी सड़कों पर मालवाहक गाड़ी और बसें कम ही दिखाई देती है। ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार के फैसले का असर कितना होता है और गाड़ियों में कितना परिवर्तन देखने को मिलता है।


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