By अनुराग गुप्ता | May 16, 2022
लखनऊ। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिषद में सर्वे-वीडियोग्राफी का काम संपन्न हो चुका है। इसी बीच सर्वे के आखिरी दिन हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया कि सर्वे दल को परिसर में एक शिवलिंग मिला है। जिसके बाद वाराणसी कोर्ट ने जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का निर्देश दिया, जहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया। इस संबंध में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दावा किया जा रहा है कि शिवलिंग है बल्कि मस्जिद कमेटी ने बताया कि वो मस्जिद का फव्वारा है और मस्जिद में ये फव्वारा होता है। अगर ये शिवलिंग था तो कोर्ट के कमिश्नर को कहना चाहिए था। इस बीच उन्होंने कहा कि कोर्ट का मस्जिद के एक हिस्से को सील करने वाला आदेश 1991 एक्ट के खिलाफ है।
इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि लोवर कोर्ट कैसे सुप्रीम कोर्ट और संसद के एक्ट के खिलाफ जा सकता है और कैसे कोर्ट का कमिश्नर रिपोर्ट नहीं देता है और हिंदू पक्ष का वकील दौड़ते हुए कोर्ट पहुंच जाता है। मुस्लिम पक्ष की गैरहाजिरी में कोर्ट फैसला दे देता है। यह सरासर 1991 एक्ट का उल्लंघन है जो उस मस्जिद के नेचर और कैरेक्टर को बदलता है।
गौरतलब है कि वाराणसी कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर किए गए सर्वे में वजू खाने को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है। हालांकि मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है। उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है। उसी का एक पत्थर आज सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है।