यूपी में स्कूलों के विलय के पीछे गहरी साजिश, अखिलेश बोले- शिक्षा का अधिकार छीनना चाहती है BJP

By अंकित सिंह | Jul 03, 2025

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को भाजपा नीत उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के विलय के पीछे गहरी साजिश है। अखिलेश यादव ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक्स पर लिखा कि शिक्षा ही विकास की सबसे बड़ी कसौटी होती है। भाजपा सरकार में शिक्षा और शिक्षकों की जो उपेक्षा हो रही है उसके पीछे एक गहरी साज़िश की ये आशंका बलवती हो रही है कि भाजपा आनेवाली पीढ़ी से ‘शिक्षा का अधिकार’ छीनना चाहती है। 


 

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सपा नेता ने दावा किया कि जो शिक्षित होता है वह सकारात्मक भी होता है और सहनशील भी, ऐसे लोग भाजपा की नकारात्मक राजनीति को कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं। शिक्षा से ही उनमें चेतना आती है और वो उत्पीड़न व शोषण के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाते हैं। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि शिक्षा से जो आत्मविश्वास आता है वह भाजपा जैसे वर्चस्ववादी दल के विरोध का कारण बनता है, इसीलिए न होंगे स्कूल, न होगा भाजपा का विरोध। आज गाँवों में स्कूल बंद होंगे कल को भाजपा के संगी-साथी सेवा के नाम पर अपने स्कूल वहाँ खोलने के लिए पहुँच जाएँगे। जिससे वो अपनी दरारवादी सोच के बीज बो सकें।


अखिलेश यादव ने आगे कहा कि भाजपा अपनी प्रभुत्ववादी सोच को बनाए रखने के लिए अशिक्षित व अवैज्ञानिक लोगों की ताली बजाती, थाली पीटती अनपढ़ों की भीड़ चाहती है। नकारात्मक सोच के लिए प्रभुत्ववादी, घोर स्वार्थी व अनपढ़ों का समर्थन चाहिए होता है। सच में शिक्षित व परमार्थ से प्रेरित एक चैतन्य व जागरूक व्यक्ति कभी भी भाजपा जैसी सोच का समर्थक नहीं हो सकता है। जितनी शिक्षा प्रसारित होगी उतनी ही भाजपाई राजनीति की जड़ कमज़ोर होगी।

 

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उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि जो चीज निगाह से दूर हो जाती है, वो दिमाग़ से भी दूर हो जाती है। जब आसपास स्कूल ही नहीं दिखेंगे तो शिक्षा की साक्षात प्रेरणा ही समाप्त हो जाएगी। हमारा तर्क ये है कि जब 1 मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है तो 30 बच्चों के लिए स्कूल चलाया क्यों नहीं जा सकता है। ये पीडीए के वंचित समाज को और भी वंचित करने का एक बड़ा षड्यंत्र है। सूत्रों के अनुसार, योगी-आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने शैक्षिक संसाधनों को युक्तिसंगत बनाने और कम नामांकन, शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे के दोहराव जैसे मुद्दों को दूर करने के लिए स्कूलों को विलय करने का फैसला किया।

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