By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 26, 2022
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, दिलीप घोष एक प्रिय मित्र हैं। मुझे उनके लिए बुरा लगता है। उनके साथ हुआ अन्याय अनुचित है। मुझे लगता है कि उन्हें इस अन्याय का विरोध करना चाहिए। हम चाहते हैं कि वह बंगाल में रहें। वहीं, टीएमसी महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा नेता को पार्टी नेताओं के एक वर्ग द्वारा उन्हें दरकिनार किए जाने की चाल का विरोध करना चाहिए। टीएमसी नेता ने कहा, पार्टी में अन्य लोगों द्वारा उनके (घोष) साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। दिलीप घोष को इसका विरोध करना चाहिए, उन्हें हमारा पूरा समर्थन है। घटनाक्रम भाजपा सांसद और प्रदेश उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह के सत्तारूढ़ टीएमसी में फिर से शामिल होने के कुछ दिन बाद हुआ है। सिंह ने टीएमसी में शामिल होने को अपनी घर वापसी कहा। हालांकि, घोष ने टीएमसी नेताओं के बयानों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि अन्य राज्यों की जिम्मेदारी उन्हें या किसी अन्य नेता को सौंपने का निर्णय भाजपा की सामान्य कार्यशैली का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, यह कोई असाधारण निर्णय नहीं है। नेताओं और राष्ट्रीय पदाधिकारियों को अकसर अन्य राज्यों में जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं पश्चिम बंगाल में संगठनात्मक मामले नहीं देख सकता। मैं दूसरों की बातों को ज्यादा महत्व नहीं देता। वहीं, प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, टीएमसी जैसी क्षेत्रीय पार्टी कभी भी राष्ट्रीय पार्टी के कामकाज को नहीं समझ सकती है। उन्होंने कहा, जो लोग किसी राष्ट्रीय पार्टी के कामकाज को नहीं समझते हैं और कभी भी किसी अखिल भारतीय पार्टी का हिस्सा नहीं रहे हैं, वे इस तरह की टिप्पणी करते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय सहित पांच विधायकों के पिछले साल के विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी में शामिल होने के उपरांत भाजपा की प्रदेश इकाई को अपने लोगों को एक साथ रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।