न बंदूक काम आई ना बम, आखिरकार Trump ने Modi Formula के जरिये ही सुलझाया सारा बवाल

By नीरज कुमार दुबे | Jun 24, 2025

ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चला युद्ध आखिरकार शांत हो गया है। इससे पहले पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच चला सैन्य टकराव भी तीन-चार दिनों में ही थम गया था। मगर इजराइल और हमास के बीच अक्टूबर 2023 से और रूस तथा यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से ही युद्ध जारी है। देखना होगा कि वहां पर कब शांति आती है। वैसे इन सारे संघर्षों का विश्लेषण करेंगे तो एक बात उभर कर सामने आती है कि भारत की नीति पर पूरी दुनिया को अमल करना चाहिए क्योंकि यही स्थायी शांति का सबसे सटीक फॉर्मूला है।


हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुरुआत से कहते रहे हैं कि चाहे यूरोप हो या एशिया, समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदानों से नहीं निकल सकता। बातचीत और कूटनीति ही समाधान निकलने का एकमात्र रास्ता है। प्रधानमंत्री मोदी कहते रहे हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी साथ ही यह भी कहते हैं कि हम किसी को छेड़ेंगे नहीं और अगर कोई हमको छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं, इस नीति के माध्यम से वह पाकिस्तान को उरी हमले, पुलवामा हमले और पहलगाम हमले का करारा जवाब दे चुके हैं। देखा जाये तो दुश्मन को सबक सिखाने का मोदी का जो फॉर्मूला है वह अधिक प्रभावकारी है।

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हाल ही में जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था तो पाकिस्तान में सिर्फ आतंकी ठिकानों पर ही कार्रवाई की गयी थी। भारत ने अपने बयान में साफ कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाइयां सटीक, लक्षित और गैर-उकसावे वाली थीं। इसका मतलब है कि हमलों को सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध और सीमित रखा गया था और उनका उद्देश्य केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाना था, न कि पाकिस्तान के आम अवाम को नुकसान पहुँचाना था। इसी मोदी मॉडल पर चलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर लक्षित कार्रवाई करते हुए सिर्फ उसके तीन बड़े परमाणु ठिकानों को ही उड़ाया। इसके अलावा, जिस तरह पाकिस्तान के डीजीएमओ के संघर्षविराम प्रस्ताव को मानते हुए भारत भी शांति के लिए राजी हो गया था उसी प्रकार ट्रंप भी ईरान और इजराइल की ओर से संपर्क किये जाने पर दोनों को युद्धविराम के लिए समझाने में सफल रहे।


देखा जाये तो आज का युग वाकई पूर्ण युद्ध का नहीं है अगर कोई देश किसी अन्य देश की संप्रभुता पर हमला करता है तो उसका जवाब लक्षित कार्रवाई से ही दिया जाना चाहिए क्योंकि पूर्ण युद्ध दोनों पक्षों के लिए तो विनाश लाता ही है साथ ही दुनिया पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है। इस समय जो युद्ध दुनिया में चल रहे हैं या जिनमें युद्धविराम हो गया है वह भी यही संदेश दे रहे हैं कि बड़ी शक्तियों को छोटे देशों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उदाहरण के लिए- अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी सैन्य बेस पर हमला करने की अपनी क्षमता साबित कर दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी है। रूस ने यूक्रेन को सप्ताह भर में ही अपना बना लेने का सपना देखा था लेकिन युद्ध को साढ़े तीन वर्ष हो चुके हैं और कोई बड़ी सफलता दोनों पक्षों को अब तक नहीं मिली है। इसी प्रकार इजराइल ने हमास को भले घुटनों के बल ला दिया हो लेकिन अक्टूबर 2023 से अब तक निरंतर किये जा रहे हमलों के बावजूद वह गाजा पर पूरी तरह कब्जा नहीं कर सका है और अपने कई बंधकों को भी हमास की कैद से नहीं छुड़ा सका है। इसी प्रकार भारत ने भले ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया हो लेकिन पाकिस्तान ने तुर्की, चीन और अजरबैजान जैसे अपने सहयोगियों से मिली मदद की बदौलत पलटवार करने की हिम्मत दिखाई।


बहरहाल, उक्त उदाहरणों को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि विश्व में शांति के लिए सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात मानें और युद्ध के मैदान से नहीं बल्कि वार्ता की टेबल पर मुद्दों का हल निकालें। इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया में स्थायी शांति का अगर कोई फॉर्मूला है तो वह मोदी फॉर्मूला ही है जिस पर अब ट्रंप भी चलने लगे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य लोग भी इसी राह पर चलेंगे।

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