Donald का सरनेम भले ही ट्रंप हो लेकिन हरकतें तो Duck वाली ही करते हैं, U-Turn Politics का MRI स्कैन

Donald
ChatGPT
अभिनय आकाश । Jun 24 2025 1:58PM

चाहे फिर पहला कार्यकाल रहा हो या दूसरा ट्रंप ने हमेशा दावा किया कि उनके राज में ग्लोबल कंन्लिक्ट नहीं होंगे। यूक्रेन रूस युद्ध को लेकर वो जो बाइडेन को बहुत कोसा करते थे। ट्रंप ने बकायदा ये वादा किया था कि 24 घंटों के अंदर वो इस युद्ध को रोक देंगे। वो अलग बात है कि उनके कार्यकाल में तो दो-तीन युद्ध और शुरू हो गए। ट्रंप का सीधा सा फंडा एक लाइन में समझें तो कुछ ऐसा है कि पहले कुछ ऐसा कहो कि जिसे सुनकर जनता चौंक जाए। फिर धीरे से पलट जाओ और कह दो कि मैंने तो कभी कहा ही नहीं।

आज आपको आपके बचपन में लिए चलते हैं। जब आप छोटे थे तो आप सभी ने वॉल्ट डिजनी की ढेर सारी कॉर्टून सीरिज देखी होगी। उसी में से एक कॉर्टून कैरेक्टर मानवरूपी सफ़ेद बत्तख का था। जिसकी चोंच, पैर और पंजे पीले-नारंगी रंग के होते थे। वो आम तौर पर नाविक की शर्ट और टाई के साथ टोपी भी पहना करता था। इस कॉर्टून कैरेक्टर को हम डोनाल्ड डक के नाम से जानते हैं। डोनाल्ड अपने अर्ध-समझदार भाषण और अपने शरारती, मनमौजी और घमंडी व्यक्तित्व के लिए खासा मशहूर रहता था। इसके अलावा, उनके दो प्रमुख व्यक्तित्व लक्षण हैं उनका उग्र स्वभाव और जीवन के प्रति उनका उत्साही रवैया। वैसे तो डोनाल्ड की पहली उपस्थिति द वाइज़ लिटिल हेन (1934) में हुई थी। लेकिन इसके ठीक 12 साल बाद इसी नाम से मिलते जुलते शख्स का जन्म हुआ, जिसके सरनेम में तो डक नहीं जुड़ा है, लेकिन स्वभाव काफी कुछ उस कैरेक्टर से मेल खाता नजर आता है। क्या आपने कभी ऐसा नेता देखा है कि जो खुद अपनी बातों पर भी भरोसा नहीं करता। जो सुबह वादा करे दोपहर को पलटे और शाम को कहे कि मैंने तो कुछ कहा ही नहीं। अगर नहीं  देखा तो आप डोनाल्ड ट्रंप से मिल सकते हैं। 

 ट्रंप ने ईरानी सीजफायर पर दुनिया से झूठ बोला

डोनाल्ड ट्रंप का दावा एक बार फिर से झूठा निकला है। ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने दावा किया था। लेकिन ईरान ने मिसाइलों की बौछार करते हुए ट्रंप के दावों को हवा हवाई बता दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति के  24 में सीजफायर के दावे झूठे निकले। जमीन पर जो तस्वीर नजर आई वो साफ बता रही हैकि अमेरिका ने दुनिया से झूठ बोला। अमेरिकी प्रेसिडेंट ने जो बढ़ चढ़कर दावा किया वो पूरी तरह से झूठा निकला। 

पाकिस्तान भारत को लेकर कर चुके हैं ऐसे ही दावें

इससे एक महीने पहले भारत के ऑपरेशन सिंदूर से तबाह हुए पाकिस्तान ने जब संघर्षविराम के लिए भारत से गुहार लगाई थी, तब भी ट्रंप ने ऐसा ही किया था. दोनों देशों के बीच सीजफायर के आधिकारिक ऐलान के पहले ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने मध्यस्थता करके दोनों देशों को इसके लिए राजी किया है। लेकिन भारत ने तुरंत ही इसका खंडन कर दिया था। हालांकि फिर भी ट्रंप नहीं माने थे और बार बार दो परमाणु संपन्न मुल्कों के बीच सीजफायर करवाने का क्रेडिट लेते नजर आए थे। 

ट्रंप ने कब-कब लिया यू टर्न

अबॉर्शन लॉ

जब गर्भपात के अधिकारों के पेचीदा मुद्दे की बात आती है, तो ट्रम्प ने पिछले 25 वर्षों में अपनी स्थिति बदल दी है। उन्होंने 1999 में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने के अपने विरोध को व्यक्त करते हुए कहा था, मैं गर्भपात के पक्ष में हूँ। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रम्प ने अपना सुर बदल दिया था, जब वे ईसाई धर्म के अनुयायियों के वोटों को आकर्षित करना चाहते थे और गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए किसी न किसी तरह की सज़ा की मांग की थी। पद पर रहते हुए, वे गर्भपात के कट्टर विरोधी हैं। 

टिकटॉक, कभी प्यार कभी ऐतराज? 

अपने पहले कार्यकाल के अंत में, ट्रम्प ने सोशल मीडिया नेटवर्क टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का असफल प्रयास किया, जिसमें लोकप्रिय मंच पर बीजिंग के लाभ के लिए अमेरिकी उपयोगकर्ता डेटा को चुराने का आरोप लगाया गया। लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, जेन Z के वोटों को लुभाने के लिए ट्रम्प ने कहा कि मुझे TikTok पसंद है और घोषणा की कि मैं TikTok को बचाने जा रहा हूँ। अब उन्होंने कहा है कि वह टिकटॉक के लिए एक गैर-चीनी खरीदार ढूंढने के सौदे के करीब हैं, जो इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में बंद होने से बचाने के लिए इसके चीनी मालिक बाइटडांस से ले लेगा।

रूसी रोलरकोस्टर

ट्रम्प के 2016 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान, उन्होंने मास्को के साथ बेहतर संबंधों की वकालत की, लेकिन रूस द्वारा उनके पक्ष में चुनाव में हस्तक्षेप करने के आरोपों के उठने के बाद उनका यह रुख शांत हो गया। व्हाइट हाउस में लौटने के बाद से, ट्रम्प ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयास में फरवरी के मध्य में व्लादिमीर पुतिन को फोन करके क्रेमलिन के साथ अचानक मेल-मिलाप की योजना बनाई है। लेकिन हाल ही में ट्रम्प ने यह भी कहा है कि यूक्रेन में युद्ध विराम वार्ता के लिए पुतिन के दृष्टिकोण को लेकर वह "बहुत नाराज़, उग्र" हैं।

चीन पर कभी नीम-नीम, कभी शहद-शहद

अपने 2016 के अभियान के दौरान ट्रम्प ने पहले दिन से ही चीन को आड़े हाथों लेने की कसम खाई थी, उन्होंने बीजिंग को मुद्रा हेरफेर करने वाला करार दिया था। पदभार ग्रहण करने के महीनों बाद, ट्रम्प ने फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो निवास पर अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग की मेजबानी की और कहा कि चीनी मुद्रा हेरफेर करने वाले नहीं हैं। इन दिनों, जबकि वह अमेरिका के मुख्य आर्थिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने की कोशिश कर रहे हैं, वह लगातार चीन पर मुद्रा हेरफेर का आरोप लगाते रहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप इतना यू टर्न क्यों लेते हैं

एक ऐसा नेता जो हर आधे घंटे बाद कुछ नया कर दे। वो मीम्स और मजाक के लिए तो बहुत बढ़िय़ा हैं। लेकिन क्या आप ऐसे नेता के दावों और बातों पर विश्वास कर पाएंगे? क्या ऐसे नेता को ग्लोबल लीडर कहा जाना चाहिए। कभी पाकिस्तान को आतंकी देश बताने वाले ट्रंप पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ डिनर करते नजर आए। यही ट्रंप कभी कहते थे कि अगर वे प्रेसिडेंट होंगे तो दुनिया में कोई जंग नहीं होगी। वही ट्रंप अपने बंकर बस्टर बम से ईरान पर हमले कर रहे हैं।  लेकिन सवाल ये उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप इतना यू टर्न क्यों लेते हैं। 

पहले कुछ भी बोल जनता को चौंकाओ, फिर धीरे से पलट जाओ

ट्रंप की कंसीस्टेंसी उस इंटरनेट स्पीड जैसी है जो 5जी का वादा करके 2जी के स्पीड पर चलती है। चाहे फिर पहला कार्यकाल रहा हो या दूसरा ट्रंप ने हमेशा दावा किया कि उनके राज में ग्लोबल कंन्लिक्ट नहीं  होंगे। यूक्रेन रूस युद्ध को लेकर वो जो बाइडेन को बहुत कोसा करते थे। ट्रंप ने बकायदा ये वादा किया था कि 24 घंटों के अंदर वो इस युद्ध को रोक देंगे। वो अलग बात है कि उनके कार्यकाल में तो दो-तीन युद्ध और शुरू हो गए। ट्रंप का सीधा सा फंडा एक लाइन में समझें तो कुछ ऐसा है कि पहले कुछ ऐसा कहो कि जिसे सुनकर जनता चौंक जाए। फिर धीरे से पलट जाओ और कह दो कि मैंने तो कभी कहा ही नहीं। 

कुल मिलाकर कहे तो ट्रंप की राजनीति एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड जैसी है जिसे पढ़कर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन फिर भी लोग उसे आगे भेज देते हैं। इसी व्हाट्सएप फॉरवर्ड नुमा राजनीति पर भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी अपना नैरेटिव बुनने में भी लग जाती है। वो पूरा ब्यौरा रखते हैं कि ट्रंप कितनी बार सीजफायर बोलते हैं। लेकिन अगर आपने हमारी पूरी रिपोर्ट पढ़ी होगी तो आपको पता चल गया होगा कि ट्रंप के कहे शब्दों को पत्थर की लकीर की तरह मानना बेवकूफी होगा। ये तो रेत पर लिखे उन शब्दों की तरह है जो हर लहर में मिट जाया करते हैं। 

For detailed delhi political news in hindi   

All the updates here:

अन्य न्यूज़