By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 28, 2022
ल्वीव। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन ‘बिना विलंब किए’ शांति स्थापित करने के लिए तटस्थता की घोषणा कर सकता है और रूस को सुरक्षा गारंटी की पेशकश कर सकता है। उन्होंने यह घोषणा दोनों देशों के बीच अगले दौर की होने वाली संभावित वार्ता से पहले की। हालांकि, जेलेंस्की ने दोहराया कि केवल रूसी नेता से आमने सामने की वार्ता से ही युद्ध समाप्त हो सकता है। एक स्वतंत्र रूसी मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन की प्राथमिकता अपनी संप्रभुता को सुनिश्चित करने और मॉस्को को उनके देश के हिस्से को अलग करने से रोकना है। उन्होंने कहा लेकिन, ‘‘सुरक्षा गारंटी और तटस्थता, हमारे देश का गैर परमाणु दर्जा कायम रखने के लिए हम तैयार हैं।’’ जेलेंस्की ने पहले भी इन उपायों का सुझाव दिया था लेकिन इतने पुख्ता तरीके से अपनी बात नहीं की थी।
रूस लंबे समय से मांग कर रहा है कि यूक्रेन पश्चिम के नाटो गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद छोड़ दे क्योंकि मॉस्को इसे अपने लिए खतरा मानता है। जेलेंस्की ने कहा कि तटस्थता का मुद्दा, जिसमें यूक्रेन को नाटो या अन्य सैन्य गठबंधनों से अलग रखने का सवाल है, रूसी सैनिकों की वापसी के बाद यूक्रेनी जनता के सामने जनमत संग्रह के लिए रखा जाना चाहिए। इस साक्षात्कार को रूस ने प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है जिसमें जेलेंस्की ने कहा,‘‘हम रूसी संघ के राष्ट्रपति के साथ समझौता करेंगे और इस समझौते पर पहुंचने के लिए उन्हें बाहर आना होगा...और मुझसे मिलना होगा।’’
जेलेंस्की ने अपने देश के लोगों के लिए रात को जारी वीडियो संदेश में कहा कि यूक्रेन वार्ता में ‘‘विलंब किए बिना’’शांति चाहता है जो इस सप्ताह तुर्की में होने वाली है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के कार्यालय ने बताया कि तुर्की के नेता ने रविवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि रूस और यूक्रेन के अधिकारियों की इस्तांबुल में वार्ता होनी चाहिए। तुर्की के मीडिया की खबरों के मुताबिक, दोनों देशों के वार्ताकारों के सोमवार को दोपहर बाद इस्तांबुल पहुंचने की उम्मीद है और वार्ता संभवत: मंगलवार को शुरू होगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले वीडियो कांफ्रेंस तथा आमने-सामने की वार्ताएं युद्ध को रोकने के मुद्दे पर प्रगति करने में असफल रही थीं। इस युद्ध में अबतक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 40 लाख यूक्रेनी नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा है।