By अनन्या मिश्रा | Dec 11, 2025
हर साल 11 दिसंबर को दुनियाभर में यूनिसेफ दिवस मनाया जाता है। 11 दिसंबर 1946 यानी की 78 साल पहले सेकेंड वर्ल्ड वॉर की तबाही के बीच संयुक्त राष्ट्र ने एक खास संगठन बनाया था। जिसको नाम दिया गया 'अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष।'
उस दौरान यूरोप के लाखों बच्चे बीमारी, भूख और बेघर होने की मार झेल रहे थे। ऐसे में यूनिसेफ की शुरूआत सिर्फ इन्हीं बच्चों को दवा, दूध और कपड़े पहुंचाने के लिए हुई थी। हालांकि उस समय किसी ने यह सोचा नहीं था कि यह अस्थायी कोष कभी बंद होने की बजाय दुनिया का सबसे बड़ा बाल अधिकार संगठन बन जाएगा। फिर साल 1953 में इसका नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष रख दिया गया। लेकिन इस संगठन का मकसद वही रहा।
यूनिसेफ 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में काम करता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा टीका देता है और हर साल यह अरबों डोज बच्चों तक पहुंचाता है। वहीं भूकंप, बाढ़, युद्ध या सूखे जैसे आपदाओं में यह संगठन सबसे पहले पहुंचकर बच्चों को टेंट, दवा, भोजन और सुरक्षा देता है। स्कूल से बाहर बच्चों को पढ़ाई से जोड़ता है और गांव-गांव में साफ पानी और शौचालय की व्यवस्था कराता है।
यूनिसेफ बाल मजदूरी, हिंसा, बाल विवाह और शोषण के खिलाफ आवाज उठाता है। वहीं यह कानून बनवाने में सरकारों की सहायता करता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से बच्चों को बचाने के लिए भी यूनिसेफ नई-नई योजनाएं चला रहा हैं।
भारत में मिड-डे-मील, पोलियो उन्मूलन, आंगनवाड़ी व्यवस्था मजबूत करना और कोविड वैक्सीनेशन जैसी तमाम बड़ी मुहिमों में यूनिसेफ का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी खासियत यह है कि यह सरकारों से पैसा नहीं लेता है, बल्कि पूरी तरह से लोगों के दान पर चलता है।