यूपी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधनों का सियासी खेल शुरू, क्या घट रहा ओवैसी का सियासी वजूद?

By निधि अविनाश | Jul 05, 2021

उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही गठबंधनों का सियासी खेल भी शुरू हो गया है और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, जो बिहार और बंगाल में अपने कार्यकाल के बाद, यूपी में भी अपना वर्चस्व बढ़ाने की योजना बना रही है। हालांकि, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सीधा ऐलान करते हुए बताया कि उनका ओवैसी से कोई भी गठबंधन नहीं होगा। 27 जून को एक ट्वीट में, उन्होंने अगले साल होने वाले राज्य चुनाव के लिए एआईएमआईएम के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना से इनकार कर दिया है।

मायावती ने अपने एक ट्वीट पर ऐलान करते हुए बताया कि 'अगले विधानसभा चुनाव में बसपा और एआईएमआईएम एक साथ लड़ेंगे, इन खबरों में एक भी सच्चाई नहीं है। बसपा 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी'।आपको बता दें कि, साल 2020 में, AIMIM ने बसपा के साथ बिहार चुनाव लड़ा था, और पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि क्या दोनों पार्टियां यूपी चुनाव भी साथ में लड़ेंगी। 

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वहीं  राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) से भी ओवैसी की पार्टी ने दूरी बनाई हुई है। ऐसे संकेत है कि, बंगाल की तरह, ओवैसी और उनकी पार्टी को यूपी में गठबंधन करने के लिए कोई बड़ी पार्टी नहीं मिलेगी। यह माना जा सकता है कि, कुछ सीटें जीतकर ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में नए भागीदार के तौर पर उभर सकेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि, 2019 में सपा और बसपा ने एक साथ आम चुनाव लड़ा था। सपा ने चार और बसपा ने छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। सपा और बसपा के तीन-तीन मुस्लिम उम्मीदवार जीते, इस तरह लोकसभा को यूपी के छह मुस्लिम सांसद मिले। उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या 19 प्रतिशत है, फिर भी मुस्लिम उम्मीदवारों ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से केवल 10 प्रतिशत से कम पर जीत हासिल की है। 

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सपा और बसपा द्वारा ठुकराए जाने के बावजूद एआईएमआईएम ने यूपी में 2022 के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने विधायक उम्मीदवार का आवेदन पत्र जारी किया है, जिसमें वफादारी अनुबंध शामिल है। इस अनुबंध के अनुसार, आवेदक को पार्टी के लिए ईमानदारी से काम करना होगा और चुनाव लड़ने के लिए टिकट न मिलने की स्थिति में भी उसके लिए प्रचार करना होगा। हालांकि, इस बीच, आवेदकों को 10,000 रुपये का आवेदन शुल्क भी देना होगा। एआईएमआईएम यूपी की 403 सीटों में से करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए खुद को तैयार कर रही है। 

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