By टीम प्रभासाक्षी | Sep 27, 2021
बीते गुरुवार को असम में अतिक्रमण हटाने वाली पुलिस पर वहां के रहने वाले लोगों ने हमला किया। जिसमें 2 लोगों की मृत्यु हो गई। उसमें से एक शख्स जख्मी हालत में रोड के बीचों बीच बेहोश पड़ा था जिसपर पुलिस और कैमरमैन ने बरसाए डंडे और इस घटना की वीडियो भी इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल हो रहा है।
किस तरह का अतिक्रमण है?
असम के दरांग जिले में हुई थी झड़प,7000 बीघा से अधिक ज़मीन पर पुलिस ने अतिक्रमणकारियों को हटाने की करी थी कोशिश। पुलिस ने सोमवार को करीब 4000 बीघा ज़मीन को खाली करा लिया था। सरकार के मुताबिक यह ज़मीन किसानों की है।
सिर्फ दरांग में है अवैध कब्ज़ा?
असम की कुल 49 लाख बीघा ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा है। तत्कालीन कनिष्ठ राजस्व मंत्री पल्लव लोचन दास ने यह आंकड़े 2017 में विधानसभा में पेश किए थे। जितना कब्ज़ा असम की ज़मीन पर हुआ है उतना ही गोवा के क्षेत्रफल का दोगुना है। क्षेत्रफल में कुल 3,172 वर्ग किलोमीटर वन भूमि शामिल है। ज्यादातर जो कब्ज़ा है वो बांग्लादेश के बंगाली भाषी मुसलमानो ने अपने अंतर्गत कर रखा है।
सरकार ने क्या किया?
बीजेपी का यह एकमात्र चुनावी वादा था जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि अतिक्रमणकारियों से जमीन को मुक्त कराया जाएगा। सरकार में 15वीं _ 16 वीं सदी के एक पोलिमैथ श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान बतद्रबा थान की भूमि व काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भूमि से कब्जे के खिलाफ अभियान चलाया था।
सरकार ने 2016 में स्वदेशी लोगों के जमीन अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाया था पैनल। पैनल में यह कहा गया था की ज़मीन हथियाने वाले एकजुट बांग्लादेशियों के संगठन और हथियारों से लैस खाली नदी द्वीपों पर रातोंरात लोग अवैध गांव बसाने के लिए उतर जाते हैं।