सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर क्या कहता है कानून? केस दर्ज तो भूल जाइए सरकारी नौकरी

By अभिनय आकाश | Jun 21, 2022

भारतीय सेना को भविष्य की जरूरत के अनुसार सजाने-संवारने और तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना शुरू की है। तमाम रक्षा और सैन्य विशेषज्ञ इसे सेना के सुधारों को लेकर क्रांतिकारी कदम बता रहे हैं। लेकिन योजना के कई प्रावधानों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है। सरकार जल्द ही ये योजना लागू करने जा रही है। साथ ही लोगों की सारी आशंकाओं को भी निर्मूल साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। रेलवे ने आज 500 से ज्यादा ट्रेनों को रद्द कर दिया। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक, प्रदर्शनकारी रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब तक दर्जनों ट्रेनों को जला दिया गया है। पटरियां उखाड़ दी गईं। और ट्रेनों में पथराव किया जा रहा है। अग्निपथ योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक जलाने और तोड़फोड़ करने वाले युवाओं का फ्यूचर खतरे में पड़ सकता है। इनके लिए सेना के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: भारत का वो अजीब बादशाह जो पूरे दिन पीता था जहर, जिसके साथ संबंध बनाने वाली स्त्री की भी हो जाती थी मौत, रोज खाता था 35 किलो खाना

अग्निपथ भर्ती योजना की घोषणा के बाद से व्यापक हिंसा हुई है। पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणियों के बाद राष्ट्र ने हिंसा भी देखी थी। इन सभी मामलों में दंगाइयों ने सड़कों पर उतरकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। करोड़ों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया। पिछले तीन दिनों में प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेनों में आग लगाने की घटना भी देखने को मिली। इस प्रकार के मामलों से निपटने के लिए, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम 1984 में पेश किया गया था। संसद द्वारा अधिनियमित अधिनियम सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम और उससे जुड़े मामलों के लिए लाया गया था। यह अधिनियम 28 जनवरी 1984 को प्रभावी हुआ।

सार्वजनिक संपत्ति की परिभाषा: सार्वजनिक संपत्ति" का अर्थ है कोई भी संपत्ति, चाहे वह अचल हो या चल (किसी भी मशीनरी सहित) जो स्वामित्व में हो, या उसके कब्जे में हो या उसके नियंत्रण में हो।

केंद्र सरकार

राज्य सरकार

कोई भी स्थानीय प्राधिकरण

केंद्रीय, अनंतिम या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित या उसके अधीन कोई भी निगम

कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में परिभाषित कोई भी कंपनी। ये ऐसी कंपनियां हैं जो सरकार के पास होती हैं जिसमें केंद्र या राज्य सरकार के पास 51 प्रतिशत से कम चुकता शेयर पूंजी नहीं होती है। आईटी में एक कंपनी भी शामिल है जो सरकारी कंपनी की सहायक कंपनी है।

सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली शरारतें: 

जो कोई भी प्रकृति की सार्वजनिक संपत्ति के संबंध में कोई कार्य करके शरारत करता है, उसे पांच साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

आग या विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत: जो कोई भी आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा अपराध करता है, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जुर्माने के साथ इसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

अधिनियम में यह भी कहा गया है कि उपरोक्त अपराधों के आरोपी या दोषी व्यक्ति को, यदि हिरासत में है, तो उसे जमानत पर या अपने स्वयं के मुचलके पर रिहा नहीं किया जाएगा, जब तक कि अभियोजन पक्ष को ऐसी रिहाई के लिए आवेदन का विरोध करने का अवसर नहीं दिया गया हो।

धारा 427 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी): जो कोई भी शरारत करता है और 50 रुपये या उससे अधिक की राशि को नुकसान पहुंचाता है, उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

धारा 425 आईपीसी: जो कोई इस आशय से, या यह जानते हुए कि वह जनता या किसी व्यक्ति को गलत तरीके से नुकसान पहुंचा सकता है, किसी भी संपत्ति को नष्ट करता है, या किसी भी संपत्ति में या इस तरह के किसी भी बदलाव का कारण बनता है। इसकी स्थिति के रूप में इसके मूल्य या उपयोगिता को नष्ट या कम कर देता है, या इसे हानिकारक रूप से प्रभावित करता है, "शरारत" करता है।

इसे भी पढ़ें: अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद जताए जा रहे तरह-तरह के संदेह, व्हाट्सएप-फेसबुक पर क्या आ रहा है ये मत देखिए, सही जानकारी यहां है

इसके अलावा और किसी भी तरह के बवाल में शामिल होने पर आईपीसी की धारा 147 और 148 के तहत केस दर्ज हो सकती है। भारतीय डंड संहिता 1860 की धारा 148 में घातक आयुध से लैस होकर दंगा करना परिभाषित किया गया है। आपीसी की धारा 148 के अनुसार कोई घातक आयुध का उपयोग करके दंगा करने पर तीन साल की सजा हो लकती है। या फिर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। या दोनों से दंडित किया जा सकता है। 

हिंसक प्रदर्शन में शामिल युवाओं का क्या होगा भविष्य? 

हिंसा कभी भी अनुकूल परिणाम नहीं देती है। इसका नतीजा हमेशा गलत ही होता है। वैसे तो भारत में सरकारी सेवा के मामले में पुलिस केस दर्ज होने को लेकर कोई एक कानून नहीं है। लेकिन अलग अलग राज्यों में सेवा नियम बने हुए हैं। जिसके तहत कहा जा रहा है कि जो लोग विरोध के नाम पर उपद्रव कर रहे हैं, वे सेना तो क्या, किसी भी सरकारी नौकरी में जाने के लायक नहीं रहेंगे। कोई भी पुलिस केस दर्ज होने के बाद भविष्य चौपट हो जाता है। सेना में फिजिकल, लिखित परीक्षा में पास कर सिलेक्ट होने के बाद जब स्थानीय थाने से पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है, तो चयन अस्वीकृत कर डिस्कवालिफाई कर दिया जाता है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति या अभ्यर्थी छोटे-मोटे अपराध में शामिल हुआ हो और उससे सीआरपीसी की धारा 107 और 151 के तहत बॉन्ड भरवाकर वादा लिया जाता है कि वो आगे कभी अपराध में शामिल नहीं होगा। 

-अभिनय आकाश 

प्रमुख खबरें

Lok Sabha Eections: फर्जी वीडियो को लेकर अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा, कहा- कार्रवाई उनकी हताशा को उजागर करती है

पद्म श्री विजेता Jitender Singh Shunty और उनके बेटे को मिली जान से मारने की धमकी, अलगाववादियों पर आरोप

बिहार के भागलपुर में हुआ बड़ा हादसा, स्कॉर्पियो पर पलटा ट्रक, 6 बारातियों की मौत

Mamata Banerjee ने नहीं दी PM Modi की बर्धमान रैली को इजाजत, बीजेपी नेता ने दिया ये बयान