By प्रिया मिश्रा | May 16, 2022
कोरोनावायरस का कहर अभी थमा नहीं था कि अब एक नए खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। इस वायरस का नाम 'मंकीपॉक्स' वायरस है जो ब्रिटेन में मिला है। यह बीमारी चूहों और बंदरों जैसे संघ में जानवरों से मनुष्य में फैलती है। इसके लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है जिससे जान का खतरा भी हो सकता है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक मंकी वायरस संक्रमण की शुरुआत नाइजीरिया से हुई है।
आपको बता दें कि, CDC के मुताबिक, मंकीपॉक्स संक्रमण पहली बार सन् 1958 में बंदरों में पाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला इंसानों में साल 1970 में पाया गया था। यह बीमारी स्मॉल पॉक्स की तरह ही एक वायरल इंफेक्शन है जो चूहों और बंदरों से इंसान में फैल सकती है। इससे पीड़ित व्यक्ति में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और त्वचा पर दाने निकल आते हैं जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखाई देते हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर कोई जानवर इस वायरस से संक्रमित है और अगर कोई इंसान उसके संपर्क में आता है तो उसमें भी यह संक्रमण हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शरीर के तरल पदार्थों, खांसने या छींकने, से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के संपर्क में आने से फैल सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति में 7 से 14 दिनों के भीतर लक्षण देखे जा सकते हैं। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना, थकावट, लिंफ नोड में सूजन और निमोनिया के लक्षण नजर आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस से पीड़ित व्यक्ति में त्वचा फटने की समस्या भी नजर आ सकती है जो बुखार होने के 1 से 3 दिनों के भीतर नजर आ सकती है।
मंकीपॉक्स का इलाज
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स के लिए अभी तक इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि स्मॉल पॉक्स वैक्सीन एंटीवायरल और डीआईजी का इस्तेमाल करके इस बीमारी के लक्षणों को फैलने रोका जा सकता है।
मंकीपॉक्स से बचाव के तरीके
इससे बचने और रोकथाम के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है।
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें।
मंकीपॉक्स वायरस के मरीज को आइसोलेशन में रहना चाहिए ताकि दूसरों में संक्रमण न फैले।
मरीज के पास जाने से पहले मास्क जरूर पहनें।
अपने आसपास की स्वच्छता का खयाल रखें।
पोषक आहार लें और आराम करें।
रोडेंट्स जैसे चूहों और बंदर के संपर्क में आने से बचें।