By अंकित सिंह | Jul 02, 2025
दिल्ली-देहरादून हाईवे पर कांवड़ मार्ग पर ढाबा मालिकों से उनके धर्म की पुष्टि के लिए पैंट खोलने को कहा गया है। इस तरह की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स आ रही है। हालांकि प्रभासाक्षी इसकी कही से भी पुष्टि नहीं कर रहा है। लेकिन पूरे मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर हाईवे के पास कई होटल हैं जो कई सालों से चल रहे हैं। मैं यह समझने में विफल हूं कि 10 साल पहले इन जगहों पर कोई समस्या क्यों नहीं थी।
ओवैसी ने सवाल किया कि यहां कांवड़ यात्रा शांतिपूर्वक कैसे निकाली गई? यह सब अभी क्यों हो रहा है? ये कौन से समूह हैं जो होटल मालिकों से पैंट उतारने को कह रहे हैं? क्या वे सरकार चला रहे हैं, या प्रशासन सरकार चला रहा है? पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दौर में लोग होटल में जाकर आधार कार्ड मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर नहीं दिखाओगे तो पैंट उतारनी पड़ेगी। कौन हैं आप जो यह तय करेंगे? आपको होटल में जाकर यह पूछने का अधिकार किसने दिया?
इससे पहले पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एस टी हसन ने बुधवार को कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों की धार्मिक पहचान करने में लगे कुछ हिंदू संगठनों की हरकतों की कड़ी निंदा की। उन्होंने ऐसी हरकतों को आतंकवाद के बराबर बताया। हसन ने कहा कि होटल कर्मचारियों और स्थानीय विक्रेताओं से उनके नाम बताने के लिए कहना और उन्हें अपने धर्म की पहचान के लिए कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना, यह पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा की गई हरकतों से अलग नहीं है। यह भी आतंकवाद का ही एक रूप है।" उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसी घटनाएं खुलेआम हो रही हैं, जबकि उत्तराखंड सरकार आंखें मूंदे बैठी है। हसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार चुपचाप इन कृत्यों का समर्थन कर रही है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में इस तरह का व्यवहार शर्मनाक है। इसे रोका जाना चाहिए।
यह टिप्पणी उत्तराखंड के कई शहरों में स्थानीय हिंदू संगठनों द्वारा कथित तौर पर भोजनालय कर्मचारियों की पहचान की जाँच करने और मुस्लिम होने का संदेह होने पर उन्हें निशाना बनाने की खबरों के बीच आई है। सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में कथित तौर पर स्वयंसेवकों को लोगों को उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए मजबूर करते हुए दिखाया गया है। हसन ने केंद्र और राज्य सरकारों से तत्काल हस्तक्षेप करने का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह की सांप्रदायिक प्रथाओं पर रोक लगाई जाए।