400 वें प्रकाश पर्व पर PM मोदी ने अपने संबोधन के लिए लाल किला को ही क्यों चुना? समझिए इसके पीछे की कहानी

By अंकित सिंह | Apr 21, 2022

देश में सिख गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व को उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। प्रधानमंत्री मोदी आजाद भारत के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सूर्यास्त के बाद लाल किले से संबोधन दिया है। भारत के प्रधानमंत्री 15 अगस्त यानी कि स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं। लेकिन यह पहला मौका है जब प्रकाश पर्व के अवसर पर भारत का कोई प्रधानमंत्री लाल किला से देश को संबोधित कर रहा है। लेकिन सवाल यही है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के लिए लाल किला को ही क्यों चुना?


इसके पीछे की भी कहानी बेहद ही महत्वपूर्ण है। वैसे तो लाल किला हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन यह बात भी ध्यान रखें रखने वाली है कि इसी किले से मुगल शासक औरंगजेब ने 1674 में गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया था। यही कारण है कि गुरु तेग बहादुर जी 400वीं जयंती मनाने के लिए लाल किले को ही चुना गया। इसके साथ ही यह लाल किला भारत के स्वर्णिम इतिहास का गवाह भी है। इस लाल किले ने मुगल के स्वर्ण काल को भी देखा है जबकि उनके ढलान को भी देखा है। लाल किला कभी याद और प्यार-मोहब्बत का प्रतीक रहा है तो कभी शहंशाओं के अंत का साक्षी भी बना है। यही लाल किला 1857 की क्रांति का भी गवाह बना।

 

इसे भी पढ़ें: जांच आयोग के गठन की मांग को लेकर कश्मीरी पंडित डॉ. संदीप मावा का आमरण अनशन


11 मार्च 1783 को सिखों ने इस लाल किले को मुगलों से आजाद भी करवा लिया। इसका श्रेय सरदार बघेल सिंह धालीवाल को जाता है। यही कारण है कि लाल किले से सीखो की भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं।  यह लाल किला बहादुर शाह जफर के जलवे के लिए भी याद किया जाता है। 15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसी लाल किले पर पहली बार ध्वजारोहण किया था तथा जनता को संबोधित किया था। इसके बाद से इसी लाल किले से भारत का हर प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हुए राष्ट्र को नई दिशा देने की कोशिश की है। इसी लाल किले से हर साल 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आने वाली योजनाओं के बारे में बताते हैं। 

 

इसे भी पढ़ें: 24 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर जाएंगे पीएम मोदी, अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला अधिकारिक दौरा


15 अगस्त को इसी लाल किले से प्रधानमंत्री भारत की आन बान शान तिरंगा को फहराते है। लाल किले को मुगल राजा शाहजहां ने बनवाया था। इसका निर्माण 1638 में शुरू हुआ था जो कि 1648 तक चला था। उस दौरान लाल किले को बनवाने में करीब एक करोड़ रुपए खर्च हुए थे। लाल किले को लाल बालू से बनवाया गया है। इसमें दो प्रवेश द्वार है-एक लाहौर गेट, दूसरा दिल्ली गेट। लाल किला दिल्ली के यमुना नदी के किनारे बना हुआ है। 

 

प्रमुख खबरें

महाराष्ट्र में बच्चों...राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री फडणवीस को लिखा पत्र, उठाया ये सवाल

Indigo पर GST को लेकर लगभग 59 करोड़ रुपये का जुर्माना, कंपनी आदेश को देगी चुनौती

Kerala Local Body Election Results: UDF की 4 नगर निगमों में बढ़त, शशि थरूर के गढ़ में BJP बमबम

तेंदुओं के हमले कम करने के लिए जंगल में बकरियां छोड़ने का सुझाव हास्यास्पद: Ajit Pawar