By नीरज कुमार दुबे | Apr 26, 2024
लगभग चार महीने पहले छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे दमदार प्रदर्शन करके सत्ता में आई भाजपा इस बात के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि राज्य की सभी 11 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की जाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से राज्य में सघन चुनाव प्रचार कर रहे हैं उसका बड़ा असर यहां की राजनीतिक स्थिति पर दिख रहा है। भाजपा ने 2019 में छत्तीसगढ़ में 11 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। भाजपा को लगता है कि जब विपरीत परिस्थिति में भी 9 सीटों पर जीत हासिल की जा सकती है तो इस समय तो अनुकूल परिस्थितियां हैं इसलिए 11 सीटों पर जीत का लक्ष्य हासिल करना कोई नामुमकिन बात नहीं है।
हम आपको बता दें कि राज्य में पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर संसदीय क्षेत्र में मतदान हो चुका है। अब 26 अप्रैल को तीन लोकसभा सीटों- राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर में चुनाव कराया जायेगा। आदिवासी बहुल राज्य में भाजपा को उम्मीद है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाये जाने का प्रभाव यहां के मतदाताओं पर है। भाजपा ने विष्णु देव साय के रूप में राज्य को पहला आदिवासी मुख्यमंत्री भी दिया है। भाजपा इस बात को प्रचारित कर रही है कि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ही आदिवासी मामलों के लिए केंद्र में अलग मंत्रालय का गठन किया गया था। भाजपा दावा कर रही है कि आदिवासियों का भला भाजपा से बेहतर कोई नहीं कर सकता।
हमने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान राज्य में दूसरे चरण की सीटों पर फोकस किया तो कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आईं। जैसे महासमुंद, कांकेर और राजनांदगांव एक कृषि बेल्ट है इसलिए किसानों के मत यहां बहुत महत्व रखते हैं। महानदी बेसिन में धान मुख्य फसल है जबकि कांकेर के तहत आने वाले बालोद और राजनांदगांव का काफी इलाका गन्ना बेल्ट भी हैं। राज्य की नई भाजपा सरकार 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीद रही है। विष्णु देव साय की सरकार ने भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में किए गए दो वादों को पूरा करते हुए, धान किसानों को लंबित बोनस भी हस्तांतरित कर दिया है। इसके अलावा महतारी वंदन योजना की दो किश्तों के पैसे भी जारी कर दिये गये हैं। इस सबका मतदाताओं पर गहरा असर दिख रहा है।
हमने यह भी पाया कि भाजपा सरकार जिस तरह नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चला रही है उसका भी असर मतदाताओं पर दिख रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य सरकार के नक्सल विरोधी कड़े रुख को देखते हुए लोगों को इस बात का विश्वास है कि भाजपा सरकार नक्सलियों के आतंक से पूरी तरह मुक्ति दिला सकती है। इसके अलावा भाजपा की सरकार बनते ही जिस तरह जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के अभियान को झटका लगा है उससे भी लोग बेहद खुश दिखे।
दूसरी ओर, कांग्रेस के वादों पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है क्योंकि जिस तरह महादेव एप घोटाले की छाया पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पड़ी है उससे कांग्रेस की छवि दागदार हो गयी है। यही कारण है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य देने और उनके कर्ज की माफी का जो वादा किया था, उसके बावजूद पार्टी को वोट नहीं मिले थे और वह सत्ता से बाहर हो गयी थी। इसलिए अब कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए भाजपा पर यह आरोप लगाना शुरू किया है कि वह यदि सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। कांग्रेस के जो भी नेता यहां प्रचार के लिए आ रहे हैं वह यही दावा कर रहे हैं कि भाजपा आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुँचाने के साथ ही आदिवासियों के अधिकारों में भी कटौती करेगी। कांग्रेस भाजपा के आला नेताओं के बार-बार राज्य के दौरे पर आने पर भी सवाल उठा रही है और दावा कर रही है कि पार्टी की खराब हालत के चलते आला नेताओं को छत्तीसगढ़ के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। वहीं इस मुद्दे पर भाजपा का कहना है कि उसकी रणनीति हमेशा यही रहती है कि ग्राम पंचायत से लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत यानि संसद तक का हर चुनाव वह पूरी मजबूती के साथ और जीत हासिल करने के उद्देश्य से ही लड़ती है और इस काम में पार्टी के बड़े से लेकर छोटे नेता और कार्यकर्ता तक जुटते हैं।