By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 25, 2021
गौरतलब है कि असम में मियां बांग्ला भाषी मुसलमानों को कहा जाता है, जिनकी राज्य में विधानसभा की 30 से 40 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी खासी उपस्थिति हैं। हिमंत ने कहा कि शुरूआत में कांग्रेस और तत्कालीन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन तथा असम गण परिषद ने इस अस्मिता की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी थी और भाजपा असम की स्थानीय संस्कृति की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने पीटीआई-से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘एआईयूडीएफ के प्रमुख बदरूद्दीन अजमल सभ्यताओं के टकराव के प्रतीक हैं। 1930 के दशक में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संघर्ष के दिनों से यह लड़ाई चल रही है और असम के लोगों को अपने जीवन-यापन की गुंजाइश को बनाए रखना होगा, अन्यथा उनके पास कुछ नहीं बचेगा। ’’ मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं घोषित करने के भाजपा के फैसले के बारे में पूछे जाने पर हिमंत ने कहा कि इस बारे में सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व ही सवालों का जवाब दे सकता है।
भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह इस शीर्ष पद (मुख्यमंत्री का) पर उनकी नजरें टिकी होने के बारे में किसी भी भ्रम को दूर करने केलिए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने अपना फैसला बदल लिया क्योंकि पार्टी ने उनसे ऐसा करने को कहा था। मुख्यमंत्री पद की उनकी महत्वाकांक्षा के बारे में पूछे जाने पर हिमंत ने कहा, ‘‘यदि मेरी कोई महत्वाकांक्षा भी हो तो उससे क्या फर्क पड़ता है। यदि प्रधानमंत्री और अमित भाई फैसला करते हैं कि मैं (मुख्यमंत्री) नहीं बनूंगा तो क्या मैं बन सकता हूं? आप उन चीजों के बारे में नहीं सोच सकते जिनसे कोई फायदा नहीं होने वाला। आखिरकार, मुझे प्रधानमंत्री और अमित भाई के फैसले का पालन करना होगा। वे जो कुछ भी कहेंगे, उस पर सवाल किये बगैर मुझे उसका पालन करना होगा। इसलिए मैं इस बारे में क्यों सोचूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और अमित भाई के पास कोई ‘लॉबिंग’ करने से कुछ नहीं मिलने वाला है। वे हर किसी को जानते हैं और उनके पास हर किसी का भविष्य फल है।