Zakir Hussain Birth Anniversary: जाकिर हुसैन ने 11 साल की उम्र में किया पहला कॉन्सर्ट, विरासत में मिला था संगीत

By अनन्या मिश्रा | Mar 10, 2025

09 मार्च को तबला वादक जाकिर हुसैन का जन्म हुआ था। जो भी जाकिर हुसैन के तबले की थाप सुनता था, वह सुनता ही रह जाता था। जाकिर हुसैन जिस तरह से तबले पर अपनी उंगलियां चलाते थे, तो चारों ओर सिर्फ तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठती थी। भले ही जाकिर हुसैन आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेंगी। उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी संगीत का जादू बिखेरा था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर तबला वादक जाकिर हुसैन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

मुंबई में 09 मार्च 1951 को जाकिर हुसैन का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम अल्लारक्खा खान था। जाकिर को अपने पिता से संगीत विरासत में मिला था। दरअसल, अल्लारक्खा भी एक फेमस तबला वादक थे। उनके पिता का पंडित रविशंकर जैसे भारतीय कलाकारों के अलावा जॉन मैकलॉघलिन और चार्ल्स लॉयड जैसे वेस्टर्न म्यूजिशियन से भी रिश्ता था। वहीं जाकिर हुसैन को सिर्फ तबले पर ही महारत हासिल नहीं थी, बल्कि वह म्यूजिक भी कंपोज करते थे। 

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पहला कंसर्ट

महज 11 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने अमेरिका में अपना पहला कंसर्ट किया था। शुरूआत में उनको भारतीय शास्त्रीय संगीत में रुचि थी। लेकिन बाद में उन्होंने पश्चिमी संगीत को अपनी शैली में शामिल किया। वह सिर्फ 3 साल की छोटी उम्र से ही जाकिर को पिता उस्ताद अल्लारक्खा खान ने पखावज सिखाना शुरू कर दिया था। वहीं साल 1987 में जाकिर का पहला सोलो म्यूजिक एल्बम रिलीज हुआ था।


वह सिर्फ एक अच्छे तबला वादक ही नहीं बल्कि एक शानदार अभिनेता भी थे। हिंदी सिनेमा पर भी जाकिर हुसैन के संगीत ने काफी गहरा असर डाला है। उन्होंने 'द परफेक्ट मर्डर', 'साज', 'मिस बीटीज चिल्ड्रन' और 'मंटो' जैसी फिल्मों में काम किया था। इसके अलावा साल 1983 में आई फिल्म 'हीट एंड हीस्ट' में पहली बार एक्टिंग की थी। इस फिल्म में अभिनेता शशि कपूर मुख्य भूमिका में थे।


जाकिर हुसैन ने साल 2002 में फिल्म 'मिस्टर एंड मिसेज अय्यर' के लिए बैकग्राउंड स्कोर और संगीत तैयार किया था। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म 'परजानिया' के लिए संगीत तैयार किया था। यह फिल्म साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित थी।


'वाह उस्ताद'

बता दें कि जाकिर हुसैन के तबले को सुनकर लोग मदहोश हो जाते थे और उनके मुंह से 'वाह उस्ताद' निकलता था। जाकिर ने न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में अपना कला का परचम लहराया। उन्होंने कई संघर्षों को पार कर सफलता का यह मुकाम पाया था।


मृत्यु

15 दिसंबर 2024 को जाकिर हुसैन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

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