Sahir Ludhianvi Birth Anniversary: साहिर लुधियानवी की शायरी में झलकता है अधूरी मोहब्बत का दर्द, तन्हा बीती जिंदगी

भारत के मशहूर शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी का 08 मार्च को जन्म हुआ था। साहिर लुधियानवी शब्दों से खेलना बखूबी जानते थे और उन्होंने इश्क पर भी खूब लिखा था। उनकी शायरी में अधूरी मोहब्बत का दर्द झलकता था।
आज ही के दिन यानी की 08 मार्च को मशहूर शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी का जन्म हुआ था। उनकी शायरी आज भी साहिर लुधियानवी के होने का एहसास दिलाती है। उनकी शायरियों में अधूरी मोहब्बत का दर्द देखने को देखने को मिलता है। साहिर लुधियानवी शब्दों से खेलना बखूबी जानते थे और उन्होंने इश्क पर भी खूब लिखा था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर फेमस शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
पंजाब में लुधियाना के करीमपुरा में 08 मार्च 1921 को साहिर लुधियानवी का जन्म हुआ था। वह एक पंजाबी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनका असली नाम अब्दुल हई है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लुधियाना के खालसा हाई स्कूल से पूरी की। फिर कॉलेज के दिनों में वह अपने शेरों-शायरी के लिए फेमस हो गए। साहिर लुधियानवी एक भारतीय शायर और संगीतकार थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए तमाम गाने लिखे।
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बेहतरीन गीतकार और शायर
बता दें कि साहिर लुधियानवी ने हिंदी और उर्दू भाषा में गाने लिखे है। वह 20वीं सदी के सबसे बेहतरीन गीतकार और शायर थे। साहिर लुधियानवी के गीत के बोल काफी मायने वाले होते थे। उन्होंने अपने हर भोगे हुए यथार्थ को गीतों और नज्मों में पिरोया है। साहिर ने 'साथी हाथ बढ़ाना' जैसे गीत लिखकर सामाजिक सहायता को बढ़ावा दिया।
पुरस्कार
साहिर लुधियानवी को दो बार सिनेमा के प्रतिष्ठित पुरस्कार फिल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। तो वहीं साल 1964 में उनको फिल्म 'ताजमहल' के गीत 'जो वादा किया' के लिए और दूसरी बार साल 1977 में फिल्म 'कभी कभी' के गीत 'कभी कभी मेरे दिल में' के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गीतकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 1971 में साहिर लुधियानवी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया था।
विवाद
मशहूर शायर साहिर का विवादों से भी पुराना नाता रहा है। वहीं उनके न रहने पर भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। दरअसल, साल 2011 में लुधियाना में पूर्व पीएम वाजपेयी के नाम पर तत्कालीन अकाली दल की सरकार द्वारा आवासीय परियोजना का नाम शुरू किया गया था। वहीं कांग्रेस सरकार ने इसका नाम बदलकर साहिर लुधियानवी के नाम पर रखे जाने का फैसला किया। जिस पर विपक्षी दलों ने एतराज जताना शुरू किया।
तन्हा रही निजी जिंदगी
पूरी उम्र अविवाहित रहने वाले साहिर लुधियानवी की निजी जिंदगी बेहद तन्हा रही। उनका नाम वैसे तो कई महिलाओं के साथ जोड़ा गया, लेकिन अमृता प्रीतम के साथ इनका रिश्ता रूहानी रहा।
मृत्यु
वहीं 25 अक्तूबर 1980 को साहिर लुधियानवी ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
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