सब्जी बेचने वाली बनी अफसर, जानें पूजा कुमारी की इंस्पायर कर देने वाली कहानी

Pooja Kumari
joshtalks
जोश टॉक्स । Apr 15 2024 2:14PM

सभी के जीवन में संघर्ष होता है और सभी लोगों को अपने अपने मुकाम पर पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मगर पूजा कुमारी के जीवन में कई बड़ी परेशानियाँ और चुनौतियाँ हैं जिनसे उन्हें कभी भी आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं मिली।

बड़ी संख्या में लोग ऐसे होते हैं जिनकी ख्वाहिश होती है कि वे ऊंचाइयों को छूने का संघर्ष करें, मगर वे अक्सर अपनी परिस्थितियों से हार जाते हैं। आज के आर्टिकल में हम आपके लिए पूजा कुमारी की एक कहानी लेकर आए हैं जो आपको प्रेरित करेगी। पूजा मधुबनी, बिहार से हैं। उन्होंने 67वीं बीपीएससी परीक्षा में 986 रैंक हासिल की और अब वह सब डिविजनल वेलफेयर ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। पूजा ने यह मुकाम हासिल करने के लिए कठिनाईयों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कहते हैं ना जिद, जुनून और मेहनत से किसी भी ऊंचाइयों को पाना मुश्किल नहीं है। यह बात आज पूजा ने साबित कर दी। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए पूजा ने उन सभी परेशानियों का सामना किया है जो हम आज इस आर्टिकल में साझा करेंगे।

सिलाई और पढ़ाई के बीच करना पड़ा संघर्ष 

सभी के जीवन में संघर्ष होता है और सभी लोगों को अपने अपने मुकाम पर पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मगर पूजा कुमारी के जीवन में कई बड़ी परेशानियाँ और चुनौतियाँ हैं जिनसे उन्हें कभी भी आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं मिली। पूजा बेहद साहसी हैं जिसके कारण वह जीत हासिल कर सकी। बचपन से ही पूजा ने बहुत ज्यादा गरीबी देखी है। इसके कारण उनके पिता 2007 में दिल्ली नौकरी करने दिल्ली चले गए। वहीं 2009 में पूजा के दसवीं का एग्जाम था, मगर एक रात पहले उन्हें पूरी रात जागकर सिलाई करनी पड़ी। इस वक्त पर पूजा की मां को लग रहा था कि वह एग्जाम पास भी नहीं कर सकेगी। मगर उन्होंने अपना 10वीं का एग्जाम 74% से क्वालीफाई किया। इसके बाद 2011 में जब 12वीं का एग्जाम देना था तो काम का प्रेशर पूजा पर बहुत ज्यादा पड़ने लगा। इसका असर उनके मार्क्स पर भी पड़ा और वह 64% के साथ आईएसी भी क्वालीफाई कर ली।

इंजीनियर बनने की थी इच्छा

पूजा हमेशा से पढ़ाई में होशियार थी। वहीं वह अपने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग करना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने AIEEE का एग्जाम भी दिया। मगर उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह सीएम साइंस कॉलेज में दाखिला ले ली। मगर उन्हें धीरे धीरे लगने लगा कि वह इंजीनियरिंग अब नहीं कर पाएंगी। इसके बाद 2013 में घर में एक हादसा हुआ, जिसके बाद पूजा को अहसास हुआ कि एक ऑफिसर की कितनी अहमियत होती है। अब पूजा के पास एक विकल्प खुल गया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगी। 

लॉकडाउन में सब्जी बेचकर करना पड़ा गुजारा 

पूजा के माता-पिता दिल्ली में रहते थे और गटर में दुकान लगाकर गुजारा करते थे। वहीं पूजा का भी ग्रेजुएशन पूरा हो गया और उनका भाई भी ग्रेजुएट हो गया। इसके बाद पूजा को यह विचार आया कि वह भी दिल्ली चली जाए और अपनी तैयारी बेहतर ढंग से करें। इसलिए वह अपने भाई के साथ दिल्ली चली गई। मगर उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि उन्हें दिल्ली जाकर भी मजदूरी करनी होगी। पूजा जब दिल्ली गई और उन्होंने अपने माता-पिता की स्थिति देखी तो उनसे रहा नहीं गया और वह भी दुकान लगाने लगी। वहीं लॉकडाउन के समय में पैसों की कमी फिर से शुरू हो गई। इस समय पर पूजा सब्जी बेचा करती थी और मास्क बनाकर भी अपना गुजारा करती थी। धीरे-धीरे ऐसी स्थिति बढ़ने लगी। फिर उन सभी को वापस अपने गांव मधुबनी आना पड़ा। तब कुछ समय बाद पूजा के भाई को अहसास हुआ कि उसे अपनी बहन को आगे बढ़ाना चाहिए और वह ऑफिसर बननी चाहिए। इसके लिए वह अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गया।

भाई के साथ से शुरू हुई बीपीएससी की जर्नी 

पूजा का भाई बहुत समझदार था और वह उनका बहुत साथ देता था। पूजा जब दिल्ली आई, तब तक वह दो बार बीपीएससी का एग्जाम दे चुकी थी और प्रीलिम्स भी क्लियर कर चुकी थी। मगर उनकी तैयारी ऐसी मजबूत नहीं होती थी जिससे वह मेन्स के एग्जाम को क्वालीफाई कर सके। इसके बाद उन्होंने उन सभी गलतियों पर काम करना शुरू किया जिससे वे अपने मेन्स एग्जाम में पीछे रहती थीं। इसके बाद वह बीपीएससी का 67वां एग्जाम देती हैं और इसमें उन्हें सफलता भी हासिल होती है। वह प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू तीनों क्वालीफाई करती हैं और 986 रैंक के साथ सिलेक्ट होती हैं।

मेरी अफसर बिटिया है

पूजा बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होनहार थी। मगर घर की परिस्थितियों के कारण वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकी। मगर जब उन्हें यह सफलता मिली तब कोई यकीन नहीं कर सकता था कि यह वही पूजा है जो कभी गटर में सब्जी बेचती थी। पूजा बताती हैं कि उनके पिता अक्सर सभी को कहते हैं कि मेरी अफसर बिटिया है। यह क्षण पूजा और उनके परिवार के लिए बहुत ही ज्यादा अहम है।

पुरानी गलतियों से सीखकर क्रैक किया मेन्स

पूजा ने पहले भी दो बार बीपीएससी का एग्जाम दिया था। मगर उन्हें हर बार प्रीलिम्स में सफलता मिल जाती थी, मगर वह मेन्स एग्जाम में उन्हें असफल होना पड़ता था। इसलिए उन्होंने जब तीसरी बार बीपीएससी का एग्जाम दिया, तो वह अपनी पिछली गलतियों पर काम करना शुरू दी जिससे उन्हें अपने तीसरे अटेम्प्ट में सफलता मिले। इससे पूजा बताती हैं कि सभी को अपनी गलतियों पर काम करने की जरूरत होती है, इससे आप हमेशा आगे बढ़ सकते हैं। अगर आप इस पूरी जर्नी को खुद पूजा से सुनना चाहते हैं तो जोश टॉक्स बिहार के चैनल पर विजिट करें। अगर आप सिविल सर्विसेज से जुड़े किसी भी आर्टिकल को पढ़ना चाहते हैं तो जोश टॉक्स यूपीएससी पर विजिट करें। 

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