25 प्रतिशत महिलाएं ही कराती है ब्रेस्ट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग: सर्वे

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 31, 2019

दिल्ली। भारत की सबसे तेज गति से बढ़ती बीमा कंपनी फ्यूचर जेनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी प्रा.लि. (एफजीआईएलआई) ने मॉमस्प्रेसो के साथ मिलकर राष्ट्रीय सर्वे के निष्कर्षों को सार्वजनिक किया है, जो यह समझने के लिए किया गया था कि भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरुकता कितनी है। भारतीय महिलाओं में होने वाला आम कैंसर है ब्रेस्ट कैंसर।

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हकीकत तो यह है कि भारत में महिलाओं में होने वाला हर चौथा कैंसर ब्रेस्ट कैंसर है। ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ (बीसीएएम) के परिप्रेक्ष्य में फ्यूचर जेनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस और भारत में महिलाओं के सबसे बड़े यूजर-जनरेटेड कंटेंट प्लेटफार्म मॉमस्प्रेसो ने महिलाओं के बीच इस मुद्दे पर बातचीत बढ़ाने और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े लक्षणों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक सर्वेक्षण किया। यह आवश्यक है कि महिलाएं स्तन कैंसर से जुड़े आम लक्षणों को जानें, जैसे गांठ और स्तन की त्वचा की मोटाई बढ़ना, और यह समझें कि शीघ्र मूल्यांकन और जल्दी पता लगाने से परिणाम में सुधार होता है।

ब्रेस्ट कैंसर के बारे में उच्च-स्तरीय जागरुकता 

भारत में स्तन कैंसर होना दुर्लभ नहीं है। लगभग 86% भारतीय महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर क्या होता है, इस तथ्य से अच्छी तरह परिचित हैं। आश्चर्यजनक रूप से 49% भारतीय महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें स्तन कैंसर का खतरा है। हालांकि इतनी उच्च जागरूकता के बाद भी स्क्रीनिंग करवाने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है।

ब्रेस्ट स्क्रीनिंग को नहीं दिया जाता महत्व 

ब्रेस्ट कैंसर जागरुकता सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार 33% उत्तरदाताओं को लगता है कि उन्हें स्क्रीनिंग की जरूरत नहीं है, जबकि 31% ने कहा कि स्तन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट कराने के बारे में उन्हें पता ही नहीं था। इसके अलावा, 14% महिलाओं ने यह भी बताया कि वह आलसी हैं और उन्हें लगता है कि इस तरह की स्क्रीनिंग कराने के लिए उनकी आयु काफी कम है।  

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ब्रेस्ट कैंसर की जांच और उपचार के बारे में जानकारी का अभाव 

देशभर में जिन महिलाओं के बीच सर्वेक्षण कराया गया, उनमें से आधे से अधिक को यह नहीं पता था कि इस बीमारी की नियमित स्क्रीनिंग या जांच किस उम्र में कराई जानी चाहिए। लगभग 80% को कैंसर के विभिन्न उपचारों के बारे में जानकारी नहीं थी। हकीकत तो यह है कि ज्यादातर महिलाओं को सिर्फ कीमोथेरेपी ही एकमात्र उपचार के तौर पर उन्हें याद थी।  

सर्वेक्षण से पता चला कि दक्षिण भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की जांच को लेकर सेल्फ-एग्जामिनेशन के बारे में बहुत कम जानकारी है। हकीकत तो यह है कि 33 प्रतिशत महिलाओं को ही पता था कि वे सेल्फ-एग्जामिनेशन के जरिये भी इस बीमारी का परीक्षण कर सकती है। इसके अलावा 35% महिलाओं को मैमोग्राफी के तौर पर उपचार के एक विकल्प की जानकारी थी, जबकि 60% को सिर्फ कीमोथेरेपी की ही जानकारी थी। 

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन लोगों के बीच सर्वेक्षण कराया गया उनमें लगभग 12% महिलाएं स्वयं पीड़ित है या ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रही है। इन ब्रेस्ट कैंसर फाइटर्स में एक बड़े हिस्से ने ब्रेस्ट में दर्द, परेशानी और स्तन के आकार और प्रकार में होने वाले परिवर्तन और उसमें होने वाली गांठों को इस रोग के टॉप 3 लक्षणों के तौर पर बताया। 

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महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बात करने में असहज होती है 

ब्रेस्ट कैंसर और इसके उपचारों के बारे में जागरूकता की कमी की वजहों में से एक महत्वपूर्ण कारक को सामने लाते हुए सर्वेक्षण ने पाया कि भारत में 57% महिलाएं अपने दोस्तों और परिजनों के साथ ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बात करने में जरा-भी सहज नहीं हैं। हालांकि, भारत में केवल 43% महिलाएं ही इस बीमारी पर खुलकर बोल पाती हैं। यह इस तथ्य की ओर भी इशारा करता है कि महानगरों में ब्रेस्ट कैंसर पर संवाद शुरू करने और जागरुकता फैलाने के लिए महिलाएं अपेक्षाकृत ज्यादा खुली है।  

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