Lok Sabha Elections: चुनाव की घोषणा के बाद काफी कुछ खो चुके हैं अखिलेश यादव

By अजय कुमार | Apr 02, 2024

राजनीति में एक पुरानी कहावत है कि कोई गठबंधन या नेता किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। कल तक जो नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मिलकर मोदी-योगी के खिलाफ पानी पी-पीकर जहर उगल रहे थे, आज वो मोदी-योगी सरकार में शामिल हो चुके हैं। माना जा रहा है कि इसके पीछे काफी हद तक सपा मुखिया अखिलेश यादव जिम्मेदार रहे हैं। 


अब जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें पास आ रही है, वैसे-वैसे एक के बाद एक सहयोगी दलों के नेता समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब अपना दल कमेरावादी पार्टी का नाम भी शामिल हो सकता है। दोनों दलों के बीच नाराजगी के चलते दूरियां भी बढ़ने लगी है। वहीं भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के साथ भी खेला हो गया है, जिसके बाद से सियासी गलियारों का पारा भी बढ़ गया है। चर्चाओं का दौर जारी है। चर्चा ये भी है कि अपना दल कमेरावादी पार्टी सपा से अलग हो गया है, बस औपचारिक घोषणा होना बाकी है। अखिलेश से दूर गठबंधन के सहयोगी तो जा ही रहे हैं पार्टी के कई नेताओं ने भी समाजवादी पार्टी छोड़ दी है और अभी भी यह सिलसिला जारी है। चुनाव की घोषणा होने के समय जो अखिलेश काफी मजबूत स्थिति में दिख रहे थे अब उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई है। कई मौकों पर तो वह स्वयं भी अपने आप को असहाय बताते नजर आ जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: क्या UP में छोटी पार्टियां बिगाड़ेंगे Akhilesh Yadav का खेल, कांग्रेस से भरपाई की उम्मीद

दरअसल जब से अखिलेश यादव के हाथों में समाजवादी पार्टी की कमान आई है, तब से सपा लगातार चुनाव हार रही है। 2014, 2017, 2019, 2022 के साथ ही नगर निगम चुनाव में भी सपा अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर सपा उपचुनाव हार गई। हालांकि मैनपुरी लोकसभा और घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट जरूर अखिलेश के पक्ष में रह चुके हैं।


इसी तरह चुनाव दर चुनाव में अखिलेश ने अन्य दलों के साथ गठबंधन किया लेकिन चुनाव बाद उस गठबंधन की गांठे खुलती गई। 2017 में कांग्रेस, 2019 में बसपा और 2022 में सुभासपा और जयन्त के साथ किए गए गठबंधन का हश्र एक ही हुआ। चुनाव से पहले गठबंधन हुआ और चुनाव बाद रास्ते अलग हो गए। हालांकि 2024 चुनाव के चलते राहुल और अखिलेश फिर से साथ आ गए हैं।अब इस लिस्ट में कई और भी नाम जुड़ने की ओर अग्रसर हैं। 


हालात यही रहे तो सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपना दल कमेरावादी और एएसपी चीफ चंद्रशेखर आजाद से भी हाथ धोना पड़ जाएगा। इन दोनों दलों के नेताओं से बढ़ी दूरी का कारण भी अखिलेश यादव बताए जा रहे हैं। अपना दल क. की नेता पल्लवी पटेल सपा से विधायक हैं। उन्होंने 2022 विधान सभा चुनाव में सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य को हराकर जीत दर्ज की थी। तब से पल्लवी और अखिलेश के राजनीतिक रिश्ते बढ़ गए थे। पल्लवी को उम्मीद थी कि सपा अपना दल क. अध्यक्ष कृष्णा पटेल को MLC या राज्यसभा के लिए भेजेगा। हालांकि विधान परिषद चुनाव और राज्यसभा चुनाव हो गए, लेकिन सपा ने कृष्णा पटेल के नाम पर सपा ने विचार भी नहीं किया, जिसके बाद पल्लवी की पार्टी ने भी अखिलेश से दूरी बना ली है।

प्रमुख खबरें

Jharkhand में पुलिसकर्मी के किशोर बेटे को बचाया गया, अपहरणकर्ता गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल में बनने जा रही है बाबरी मस्जिद! ममता बनर्जी के राज्य में होने वाला है बड़ा कांड, भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात

Assam Government ने एससी, एसटी और अन्य समुदायों को दो बच्चे के नियम से छूट दी

Vladimir Putin के डिनर पर Shashi Tharoo हुए शामिल, खड़गे-राहुल गांधी को न्योता नहीं? कांग्रेस ने लगाया सरकार पर प्रोटोकॉल उल्लंघन का आरोप