By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 02, 2018
कोलकाता। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह कहते हुए बी आर अंबेडकर के योगदान की सराहना की कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि देश अन्य संविधानों की भांति सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली नहीं अपनाए। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान अंगीकार किये जाने के 68 साल बाद भी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बना हुआ है और कई मौकों पर यह सिरमौर रहा। वह यहां वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान इंडियन एसोसिएशन फोर कल्टिवेशन ऑफ साइंस में बी आर अंबेडकर जयंती समारोह के मौके पर बोल रहे थे।
राष्ट्रपति रहने के दौरान की एक घटना का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि एक मामले में उन्हें हस्तक्षेप करना पड़ा था और उन्होंने प्रधानमंत्री से उन राज्यपाल को सलाह देने के लिए कहा था जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने अभ्यारोपित किया था। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति ने राज्यपाल या राज्य का नाम नहीं बताया। मुखर्जी ने कहा, ‘मुझे प्रधानमंत्री से कहना पड़ा कि श्रीमान् प्रधानमंत्री , आप उन राज्यपाल को सलाह दीजिए जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करने के उनके (राज्यपाल) निष्कर्ष को संविधान की उनकी अविवेकपूर्ण और गलत व्याख्या मानते हुए अभ्यारोपित किया। सरकार को गिराये जाने की उच्चतम न्यायालय ने निंदा की थी। मैंने कहा कि उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘वाकई, उन्होंने (राज्यपाल) प्रधानमंत्री की सलाह सुनी।’ पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने सरकार की संसदीय प्रणाली स्वीकार की जिसके मूल में लचीलापन है। उन्होंने कहा, ‘जब संविधान इस बात का प्रावधान करता है कि राज्यपाल का कार्यकाल राष्ट्रपति की खुशी पर निर्भर करेगा तो इसका तात्पर्य सरकार की खुशी होती है जो एक निर्वाचित सरकार हो। और ऐसे में किसी भी विवेकाधिकार की गुजाइंश नहीं रहती है।’
अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए और उन्हें ‘संविधान का शिल्पी’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह इस देश के विशाल जनसामान्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव का चार्टर बना रहा। मुखर्जी ने कहा कि अंबेडकर ने यह सुनिश्चित किया कि देश अन्य संविधानों की भांति सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली नहीं अपनाए।