Prabhasakshi NewsRoom: Pahalgam Attack से सबक लेते हुए Uttarakhand की प्रसिद्ध फूलों की घाटी में Anti-Terror Squad Team तैनात की गयी

By नीरज कुमार दुबे | Jun 12, 2025

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पर्यटन पर आधारित राज्यों ने पर्यटकों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किये हैं। इस कड़ी में उत्तराखंड पुलिस ने फूलों की घाटी के पास स्थित घांघरिया में छह-सदस्यीय एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) टीम तैनात की है, ताकि इस दुर्गम क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही और पास ही स्थित लोकप्रिय सिख तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की निगरानी की जा सके। हम आपको बता दें कि यह पहली बार है जब इस तरह की तैनाती इस इलाके में की गई है।


चमोली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सर्वेश पंवार ने मीडिया को बताया, “एटीएस टीम को घांघरिया में तैनात किया गया है, जो कि फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वालों के लिए प्रमुख बिंदु है। यह टीम 24 मई से वहां मौजूद है, यानी हेमकुंड साहिब यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले से।'' उन्होंने कहा कि यह टीम राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के साथ मिलकर यात्रा और पर्यटकों की आवाजाही को सुरक्षित और सुचारू बनाने में मदद कर रही है।”

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हम आपको बता दें कि एटीएस की तैनाती उत्तराखंड में एक व्यापक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है, जो कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के मद्देनज़र की गई है। हालांकि अधिकारियों ने चमोली जिले (जहां फूलों की घाटी स्थित है और जो चीन की सीमा से सटा है) से किसी भी प्रत्यक्ष खतरे या खुफिया जानकारी की पुष्टि नहीं की है, फिर भी एहतियात के तौर पर राज्य भर में प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।


हम आपको बता दें कि चार धाम स्थलों– यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ पर भी सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है, जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भीड़ नियंत्रण, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की निगरानी कर रहे हैं। साथ ही पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर रख रही है और उत्तराखंड में रह रहे लगभग 1,700 कश्मीरी छात्रों को भी सहयोग दे रही है। सरकार का प्रयास है कि सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे और किसी तरह की अफवाह नहीं फैले।


हम आपको बता दें कि फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान है जोकि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह 1 जून को पर्यटकों के लिए फिर से खुल गया है। चमोली में समुद्र तल से 9,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह उद्यान जून से अक्टूबर तक खुला रहता है और अपनी अल्पाइन वनस्पतियों के लिए जाना जाता है। 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित की गई इस घाटी में 600 से अधिक पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें ब्रह्मकमल (उत्तराखंड का राज्य पुष्प), ऐस्टर, डेल्फिनियम, हिमालयी ब्लू पॉपी, रैनन्कुलस और पोटेन्टिला शामिल हैं। यह घाटी अपने रंग-बिरंगे फूलों, हरे-भरे घास के मैदानों और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह घाटी न केवल प्राकृतिक प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, बल्कि ट्रेकिंग के शौकीनों और वनस्पति विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।


यह घाटी लगभग 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है और इसमें 600 से अधिक प्रकार की पुष्प प्रजातियाँ पाई जाती हैं। फूलों की घाटी हर वर्ष जून से अक्टूबर तक ही पर्यटकों के लिए खुलती है, क्योंकि इसके बाद भारी बर्फबारी के कारण घाटी बंद हो जाती है। जुलाई और अगस्त के महीने में यहाँ फूल पूरी तरह से खिले होते हैं और घाटी रंगों की चादर ओढ़ लेती है। फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए यात्रियों को गोविंदघाट तक सड़क मार्ग से पहुंचना होता है। इसके बाद लगभग 13 किलोमीटर का ट्रेक करके घांघरिया पहुंचा जाता है, जो घाटी का बेस कैंप माना जाता है। घांघरिया से घाटी की दूरी लगभग 3-4 किलोमीटर है, जिसे पैदल तय किया जाता है।


हम आपको यह भी बता दें कि फूलों की घाटी के पास ही हेमकुंड साहिब स्थित है, जो सिखों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह 25 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था और यहां हर साल हजारों तीर्थयात्री पहुंचते हैं। हम आपको यह भी बता दें कि फूलों की घाटी एक संवेदनशील इको-जोन में स्थित है। यहाँ प्लास्टिक, शोर-शराबा और भीड़भाड़ पर नियंत्रण रखने के लिए कड़े नियम लागू हैं।

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