कलाकार की स्वतन्त्रता (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Jan 27, 2023

हमारे मित्र, प्रसिद्ध, स्थानीय कलाकार मिले, कॉलर खड़े, कमीज़ी बटन खुला, काला चश्मा लगाए। बहुत दिनों बाद दिखे, बड़े चटकमटक रहे हो पूछा हमने। पूछो न यार, आजकल कला का सिर ऊंचा है। किसने किया, हमने पूछा। बोले, हमारे कलाकारों ने, खास तौर पर महिला कलाकारों ने। उन्होंने दिखा दिया कि कलाकार आज़ाद होता है। क्या मतलब, हमने पूछा। मतलब साफ कि कलाकार अभिव्यक्ति के मामले, विशेषकर शरीर के सन्दर्भ  में स्वतन्त्र किस्म का प्राणी होता है।


हमारे जिज्ञासु मन ने कहा कृपया कलाकार की स्वतंत्रता बारे बताएं। कलाकार बोले, बदल चुके परिवेश में स्वतंत्रता के अंतर्गत कलाकार की कोई सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं है। उसे कुछ भी कहने, न कहने और कह कर मुकरने, राजनीति में न होकर भी राजनीति करने, पुरस्कार झटक लेने या लौटने, लॉबी बनाने, साथी कलाकारों का शोषण करने का अधिकार है। परम्परा संस्कृति को अच्छे से ओढ़ कर उन्हें, शरीर, सेक्स व प्रेम पर खुलकर कर बोलने की आज़ादी होती है।

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हमने कहा, क्या कलाकार मछली से भी ज्यादा स्वतन्त्र होता है यानी पूरा समुद्र उसका। कलाकार बोले हमारी बात पूरी नहीं हुई। वर्तमान समय में जो जिसकी ज़िम्मेदारी है वही उसकी ज़िम्मेदारी नही है। हमें प्रेरित करने के लिए, व्यवहारिक रूप से सिखाने के लिए अनेक सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक कलाकार मौजूद हैं। कलाकारों को इन्कम टैक्स चोरी, जितना मर्जी पैसा कमा कहीं भी जमा करने, डिस्कांउट लेने, पैसा कमाने के लिए कला, संस्कृति, सभ्यता को नुकसान पहुंचाने, सफलता और पैसे के लिए सचमुच नंगा होने की भी सुविधा उपलब्ध है। नंगा होने की शारीरिक स्वतन्त्रता महिला कलाकारों विशेषकर युवतियों को ज्यादा होती है । उन्हें फैशनेबल वस्त्रों में, कम और छोटे वस्त्र पहनकर, अलग अलग कोण से अपनी कीमती वस्तु यानी शरीर दिखाने का अधिकार है ताकि वे अपने आप को ज्यादा से ज्यादा प्रसिद्धि, धन और सफलता से ढक सकें।


हमने डरते डरते पूछ ही लिया, प्लीज़ बताइए न जो वरिष्ठ कलाकार जीते जी लीजेंड हो जाते हैं सफलता, दौलत व प्रसिद्धि उनके कदम चूमती रहती है, कला क्षेत्र में बुलंदी पर होते हैं। देश विदेश के बड़े व प्रसिद्ध पुरस्कार उनके हो चुके होते हैं तब क्या उनकी कुछ सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारियां नहीं बनती। क्या उनकी हरकतें व कार्य ऐसे नहीं होने चाहिएं कि समाज को सही प्रेरणा व दिशा मिले। समाज में अगर कुछ गलत होता दिखे क्या उन्हें प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। जवाब मिला, जैसा कि हमने पहले ही समझाया है कि कलाकार स्वतन्त्र व्यक्ति होता है इसलिए जिम्मेदारी महसूस करने या न समझने की पूरी स्वतन्त्रता उन्हें रहती है। कलाकार वैसे भी अधूरी स्वतन्त्रता में विशवास नहीं करते। यदि वह समाज सेवा में उलझेंगे तो कला की सेवा कौन करेगा।


हमारी बोलती बंद। कलाकार अपनी सफलता पर आत्ममुग्ध, हंसते हुए बोले और कोई सवाल। हमें फिर हिम्मत बंधी, एक राज़ की बात बताओ कलाकार स्वतन्त्रता क्यूं पसंद करते हैं। कला की दुनिया में हमेशा अलग, नया, याद रह जाने लायक लगातार सृजन कर स्वादिष्ट योगदान देने के लिए भरपूर स्वतन्त्रता जरूरी है। क्या कलाकार हमारे देश की कला के हर क्षेत्र में लाई गिरावट के जिम्मेदार नहीं हैं, बोलो। स्वतन्त्रता चीज़ ही ऐसी है, थोड़ी बहुत गड़बड़ चलती है यार। कलाकार बात खत्म कर, हमारे पहलु से निकल चुके थे।


- संतोष उत्सुक

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