केजरीवाल की धरना पॉलिटिक्स का सच समझ चुकी है दिल्ली की जनता

By मनोज झा | Jun 16, 2018

बचपन में आपने भी वो कहानी सुनी होगी...भेड़िया आया, भेड़िया आया...एक गांव में एक शरारती बच्चा था। वो रोज रात को ग्रामीणों को परेशान करने के लिए उन्हें ये कहकर नींद से जगा देता था कि उसकी जान खतरे में है क्योंकि भेड़िया आ गया है...जब गांव के लोग शरारती बच्चे की मदद के लिए उसके पास आते थे तो वहां कोई भेड़िया नहीं होता था। लोग थक-हारकर अपने घरों में लौट जाते थे और शरारती बच्चा ये कहकर खुद को खुश कर लेता था कि आज उसने फिर से गांववालों को बेवकूफ बना दिया। ये सिलसिला कई दिनों तक चला..आखिरकार कई दिनों तक बेवकूफ बनने के बाद ग्रामीणों ने तय किया कि अब कुछ भी हो जाए उस शरारती बच्चे की बातों में आकर उसके पास नहीं जाना है। फिर क्या था...एक दिन अचानक शरारती बच्चे के सामने भेड़िया आ गया...उसने जान बचाने के लिए चीख-चीखकर ग्रामीणों को आवाज लगाई...लेकिन गांव वालों को लगा कि ये उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है और कोई उस बच्चे की मदद के लिए नहीं पहुंचा।

 

ये कहानी आम आदमी पार्टी पर फिट बैठती दिखाई दे रही है....केजरीवाल और उनके साथियों को लगता है कि दिल्ली की जनता मूर्ख है...उनके पास कोई काम-धाम नहीं है। फरवरी 2015 में प्रंचड बहुमत के साथ केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के सीएम बने थे। तीन साल से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान शायद ही कोई दिन गुजरा हो जब आम आदमी पार्टी का एलजी या फिर केंद्र के साथ टकराव ना हुआ हो। पहले नजीब जंग और अब अनिल बैजल से तनातनी....कभी अफसरों का बहाना, तो कभी कुछ और केजरीवाल और उनके मंत्री अपने काम में कम एलजी से झगड़ने में ज्यादा व्यस्त दिखे...केंद्र को लेकर उनका रवैया कुछ ऐसा ही रहा। अपने मौजूदा शासनकाल में शायद ही कभी कोई ऐसा दिन गया हो जब केजरीवाल सरकार ने केंद्र पर परेशान करने का आरोप नहीं लगाया हो।

 

दिल्ली सरकार और केंद्र में तनातनी की खबरों से दिल्ली की जनता इस कदर परेशान हो चुकी है कि उन्हें अब ये जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ? आधी रात को मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव के साथ मारपीट की घटना के बाद तो कई लोगों ने यहां तक मान लिया कि उनसे केजरीवाल को समझने में भूल हो गई। आम आदमी पार्टी ड्रामा करने में माहिर है ये तो सभी को पता था...लेकिन धरना पॉलिटिक्स में महारथ हासिल करने वाले केजरीवाल अचानक मंत्रियों के साथ धरने के लिए एलजी दफ्तर के अंदर धावा बोल देंगे इसका अंदाजा किसी को नहीं था। दिल्ली के सीएम अपने तीन मंत्रियों के साथ पिछले 6 दिनों से एलजी आवास में विजिटिंग रूम में धरने पर बैठे हैं। सोफे पर लेटे मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की तस्वीर सभी को हैरान कर रही है। लोकतंत्र में अपनी बात रखने का हर किसी को अधिकार है...लेकिन विरोध के नाम पर इस तरह की नौटंकी को कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता।

 

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मानें तो दिल्ली के उपराज्यपाल हमारे लिए 4 मिनट का समय नहीं निकाल पा रहे हैं। वाह ! एक तरफ तो आपने एलजी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया वो भी उनके घर में और अब उन्हीं से मिलने का समय मांग रहे हैं। जरा सोचिए अगर एलजी से मिलना ही था तो फिर उनके घर जाकर ये ड्रामेबाजी क्यों? दरअसल केजरीवाल को लगा कि हमेशा की तरह इस बार भी उनका दांव फिट बैठ जाएगा...उनकी पब्लिसिटी होगी और मीडिया 24 घंटे उनके धरने की खबर दिखाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ...दांव उल्टा पड़ता देख अब केजरीवाल को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखनी पड़ी। केजरीवाल ने पीएम को चिट्ठी लिख अफसरों की हड़ताल खत्म कराने की अपील की है। 

 

जरा सोचिए केजरीवाल खुद प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं...लेकिन फिर भी उनकी अफसरों से नहीं पटती। अब कई लोग तो ये भी सवाल करने लगे हैं कि आखिर केजरीवाल की किसी से बनती भी है क्या? कभी पीएम पर आरोप लगाना, कभी गृह मंत्रालय पर परेशान करने की बात करना, बात-बात में एलजी को कसूरवार ठहराना...केजरीवाल जी बहुत हो गया नाटक...कम से कम अब संभल जाइए...दिल्ली की जनता परेशान हो चुकी है...उसने आपको सत्ता में इसलिए नहीं बिठाया था कि आप रोज केंद्र के साथ सास-बहू की तरह लड़ाई करें...दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है...तो क्या हुआ इसी दिल्ली में शीला दीक्षित ने 15 साल तक शासन किया। बेहतर होगा आम आदमी पार्टी बहानेबाजी की राजनीति छोड़ पूरी लगन से जनता की भलाई के लिए काम करे। अगर आम आदमी पार्टी अब भी गंभीर नहीं होती है तो एक दिन उसके साथ भी भेड़िया आया, भेड़िया आया वाला हाल होगा।

 

मनोज झा

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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