Ashadha Bhaum Pradosh Vrat 2025: आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत से जीवन में आती है खुशहाली

By प्रज्ञा पांडेय | Jul 08, 2025

आज आषाढ़ भौम प्रदोष है। भौम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और इस दिन महादेव की पूजा-अर्चना होती है। आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है तो आइए हम आपको आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 


जानें आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत के बारे में 

'प्रदोष' का अर्थ है रात्रि का शुभारंभ। इस व्रत का पूजन रात के समय होता है। यही कारण है इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत 8 जुलाई को पड़ रहा है। यह व्रत संतान की कामना और उसकी रक्षा के लिए किया जाता है। इस व्रत को स्त्री पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। सनातन धर्म में आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत के दिन विधिपूर्वक भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही महादेव की कृपा रुके हुए काम पूरे होते हैं।

इसे भी पढ़ें: Jaya Parvati Vrat 2025: पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं करती हैं जया पार्वती व्रत, जानिए महत्व और मुहूर्त

भौम प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 

शास्त्रों में भौम प्रदोष व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक बुढ़िया थी, वह भौम देवता (मंगल देवता) को अपना इष्ट देवता मानकर सदैव मंगल का व्रत रखती और मंगलदेव का पूजन किया करती थी। उसका एक पुत्र था जो मंगलवार को  हुआ था। इस कारण उसको मंगलिया के नाम से बोला करती थी। मंगलवार के दिन न तो घर को लीपती और न ही पृथ्वी खोदा करती थी। एक दिन मंगल देवता उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने के लिये उसके घर में साधु का रूप बनाकर आये और द्वार पर आवाज दी। बुढ़िया ने कहा महाराज क्या आज्ञा है ? साधु कहने लगा कि बहुत भूख लगी है, भोजन बनाना है, इसके लिए तू थोड़ी-सी पृथ्वी लीप दे तो तेरा पुण्य होगा। यह सुनकर बुढ़िया ने कहा महाराज आज मंगलवार की व्रती हूं। इसलिये मैं चौका नहीं लगा सकती कहो तो जल का छिड़काव कर दूं और उस पर भोजन बना लें।


साधु कहने लगा कि मैं गोबर से ही लिपे चौके पर खाना बनाता हूं। बुढ़िया ने कहा पृथ्वी लीपने के सिवाय और कोई सेवा हो तो बताएं वह सब कुछ कर दूंगी। तब साधु ने कहा कि सोच समझकर उत्तर दो जो कुछ भी मैं कहूं सब तुमको करना होगा। बुढ़िया कहने लगी कि महाराज पृथ्वी लीपने के अलावा जो भी आज्ञा करेंगे उसका पालन अवश्य करूंगी। बुढ़िया ने ऐसे तीन बार वचन दे दिया। तब साधु कहने लगा कि तू अपने लड़के को बुलाकर आंधा लिटा दे मैं उसकी पीठ पर भोजन बनाऊंगा। साधु की बात सुनकर बुढ़िया चुप हो गई। तब साधु ने कहा- "बुला ले लड़के को, अब सोच-विचार क्या करती है ?" बुढ़िया मंगलिया, मंगलिया कहकर पुकारने लगी। थोड़ी देर बाद लड़का आ गया। बुढ़िया ने कहा- "जा बेटे तुझको बाबाजी बुलाते हैं," लड़के ने बाबाजी से जाकर पूछा- "क्या आज्ञा है महाराज ?" बाबाजी ने कहा कि जाओ अपनी माताजी को बुला लाओ। तब माता आ गई तो साधु ने कहा कि तू ही इसको लिटा दें। बुढ़िया ने मंगल देवता का स्मरण करते हुए लड़के को औंधा लिटा दिया और उसकी पीठ पर अंगीठी रख दी और कहने लगी कि महाराज अब जो कुछ आपको करना है कीजिए, मैं जाकर अपना काम करती हूं। 


साधु ने लड़के की पीठ पर रखी हुई अंगीठी में आग जलाई और उस पर भोजन बनाया। जब भोजन बन चुका तो साधु ने बुढ़िया से कहा कि अब अपने लड़के को बुलाओ वह भी आकर भोग ले जाये। बुढ़िया कहने लगी कि यह कैसे आश्चर्य की बात है कि उसकी पीठ पर आपने आग जलाई और उसी को प्रसाद के लिये बुलाते हैं। क्या यह सम्भव है कि अब भी आप उसको जीवित समझते हैं, आप कृपा करके उसका स्मरण भी मुझको न कराइए और भोग लगाकर जहां जाना हो जाइये। साधु के बहुत आग्रह करने पर बुढ़िया ने ज्यों ही मंगलिया कहकर आवाज लगाई त्यों ही एक ओर से दौड़ता हुआ वह आ गया। साधु ने लड़के को प्रसाद दिया और कहा कि माई तेरा व्रत सफल हो गया। तेरे हृदय में दया है और अपने इष्ट देव में अटल श्रद्धा है और इसके कारण तुमको कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचेगा।


आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत में भौम शब्द का है खास महत्व 

आपको बता दें कि हर माह में प्रदोष व्रत आता है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को 'भौम' कहते हैं। यह व्रत करने से व्रत ऋण, भूमि, भवन संबंधित परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही शारीरिक बल भी बढ़ता है। आपका मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहता है।

 

आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि  07 जुलाई को देर रात 11 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 09 जुलाई को त्रयोदशी तिथि देर रात 12 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में 08 जुलाई को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन शिव जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 23 मिनट से लेकर 09 बजकर 24 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मंगलवार के दिन पड़ने के की वजह से यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा।


आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत पर रखें इन बातों का ध्यान

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर महादेव की पूजा-अर्चना करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। व्रत के दिन सात्विक चीजों का भोजन करें। शिवलिंग का विशेष चीजों के द्वारा अभिषेक करें। अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। पूजा के दौरान शिव मंत्रों और शिव चालीसा का पाठ करें।


आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत का महत्व 

आज यानी 08 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। हर महीने इस तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा और व्रत करने से साधक को सभी भय से छुटकारा मिलता है। साथ ही शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत के दिन कई योग भी बन रहे हैं।


आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें पूजा 

आषाढ़ भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। संध्या समय प्रदोष काल (सूर्यास्त से पहले का समय) में भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं। बेलपत्र, अक्षत, फूल और धूप-दीप अर्पित करें। महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें। प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें और भगवान से अपनी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करें।


- प्रज्ञा पाण्डेय

प्रमुख खबरें

Messi event controversy के बाद बंगाल में खेल मंत्रालय की कमान संभालेंगी ममता बनर्जी

IPL 2026 नीलामी: यूपी के प्रशांत वीर पर CSK ने लगाया 14.20 करोड़ का बड़ा दांव

IPL 2026 नीलामी: कैमरन ग्रीन बने सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी, KKR ने लगाए 25.20 करोड़

इंडसइंड बैंक में HDFC समूह की एंट्री, भारतीय रिज़र्व बैंक से 9.5% हिस्सेदारी की मंजूरी