By अनन्या मिश्रा | Oct 22, 2025
भारत में क्रांतिकारियों ने 1920 के दशक में अपनी देशभक्ति के कारनामों से लोगों को रोमांचित कर दिया था। ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी और महान क्रांतिकारी अशफाकउल्ला खान थे। आज ही के दिन यानी की 22 अक्तूबर को अशफाकउल्ला खान का जन्म हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों से आजादी के लिए अपने तरीके से काम किए और देश की युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बने थे। अशफाक में देश की आजादी के लिए कुछ कर गुजरने का गजब का जज्बा था। अशफाकउल्ला खान ने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर अशफाकउल्ला खान के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में 22 अक्टूबर 1900 को अशफाकउल्ला खान का जन्म एक पठान परिवार में हुआ था। उनके परिवार में सभी लोग सरकारी नौकरी में थे। लेकिन अशफाक बचपन से ही देश के लिए कुछ करना था। उनके जीवन पर क्रांतिकारियों का बहुत प्रभाव था। उनको निशानेबाजी, घुड़सवारी और तैराकी का भी शौक था। हालांकि अशफाक को पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं दिखाते थे, लेकिन देश की भलाई के लिए किए जाने वाले आंदोलनों की कहानियों को बड़ी रुचि के साथ पढ़ते थे।
अशफाक उल्ला खां के जीवन पर महात्मा गांदी का शुरू से प्रभाव था। जब गांधीजी ने 'असहयोग आंदोलन' वापस ले लिया था, तो उनके मन को अत्यंत पीड़ा पहुंची थी। फिर 08 अगस्त 1925 को रामप्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में क्रांतिकारियों की एक अहम बैठक हुई थी। जिसमें 09 अगस्त 1925 को सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजन ट्रेन काकोरी स्टेशन पर आने वाली ट्रेन लूटने की योजना बनाई गई, इस ट्रेन में सरकारी खजाना था।
वहीं 09 अगस्त 1925 को अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, केशव चकवर्ती और अन्य क्रांतिकारियों ने गुप्त योजना को अंजाम देते हुए लखनऊ के नजदीक काकोरी में ट्रेन से ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया। इस घटना के बाद से इसको काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है।
इस घटना के बाद ब्रिटिश सरकार ने एक-एककर सभी क्रांतिकारियों को पकड़ लिया, लेकिन अशफाक उल्ला खां और चंद्रशेखर आजाद पुलिस के हाथ नहीं आए थे। वहीं 26 सितंबर 1925 को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। इन क्रांतिकारियों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ने, राजद्रोह करने, मुसाफिरों की हत्या करने और सरकारी खजाना लूटने का मुकदमा चलाया गया था।
मृत्यु
वहीं 19 दिसबंर 1927 को महज 27 साल की उम्र में अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गई थी।