APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: अखबार बेचने से राष्ट्रपति भवन तक, डॉ. कलाम की संघर्षमय यात्रा, बने 'मिसाइल मैन'

देश के पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक और शिक्षक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का 15 अक्तूबर को जन्म हुआ था। साइंस की दुनिया में मिसाइल मैन के रूप में जाने जाते थे। डॉ कलाम को शिक्षा और युवा सशक्तिकरण पर जोर देने के लिए भी जाना जाता था।
देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का 15 अक्तूबर को जन्म हुआ था। साल 2002 में वह एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे। डॉ कलाम भारत के प्रिय वैज्ञानिकों और नेताओं में से एक थे। हालांकि उनका जीवन संघर्ष भरा रहा था। उन्होंने अखबार बेचने से लेकर देश को मिसाइल और अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
तमिलनाडु में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में 15 अक्तूबर 1931 को ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। उनका वास्तविक नाम अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम था। डॉ कलाम के पिता का नाम जैनुलाब्दीन और मां का नाम अशिअम्मा था। इनके पिता नाविक थे और वह मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। डॉ कलाम ने रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय से अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की। वहीं परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण डॉ कलाम ने छोटी उम्र से अख़बार वितरित करने का काम करना शुरूकर दिया था।
इसे भी पढ़ें: Jayaprakash Narayan Birth Anniversary: न पद लिया न सत्ता में रहे फिर भी 'लोकनायक' बने जेपी नारायण, ऐसा रहा लोकतंत्र में योगदान
टीचर से मिली प्रेरणा
डॉ कलाम से एक दिन उनके टीचर ने सवाल किया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। इस सवाल का कक्षा में कोई जवाब नहीं दे पाया, फिर अगले दिन टीचर छात्रों को लेकर समुद्र तट पर ले गए और पक्षियों के उड़ने का कारण भी समझाया। इन्हीं पक्षियों को देखकर एपीजे अब्दुल कलाम ने तय किया कि वह विमान विज्ञान में जाएंगे। इसके बाद उन्होंने फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजिनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
कहा जाता है 'मिसाइल मैन'
एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति और जाने-माने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में भी फेमस थे। उन्होंने करीब 4 दशकों तक मुख्य रूप से एक साइंटिस्ट और विज्ञान के व्यवस्थापक के तौर पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को संभाला था। एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शिरकत की थी। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास कार्यों में योगदान के लिए एपीजे अब्दुल कलाम को 'मिसाइल मैन' की उपाधि से नवाजा गया था।
साल 1962 में एपीजे अब्दुल कलाम इसरो पहुंचे और यहां पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर का पद संभाला। उनके अंडर में भारत का पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना। फिर साल 1980 के दौरान पृथ्वी की कक्षा के निकट रोहिणी उपग्रह को स्थापित किया गया। इसके अलावा भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का मेंबर भी बन गया। फिर डॉ कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया और उन्होंने भारतीय टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं।
साल 1992 से 1999 तक डॉ कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार के तौर पर भी रहे। इस समय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए। साथ ही भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की भी भूमिका निभाई। वह साल 1982 में DRDL रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के डायरेक्टर बने।
पुरस्कार
साल 1981 में भारत सरकार द्वारा एपीजे अब्दुल कलाम को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से नवाजा गया। फिर साल 1990 में उनको 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया। वहीं साल 1997 में उनको भारत रत्न से नवाजा गया था। साल 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे।
मृत्यु
वहीं 27 जुलाई 2015 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का निधन हो गया था।
अन्य न्यूज़












