By अनन्या मिश्रा | May 15, 2025
उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत का 15 मई को निधन हो गया था। भैरोसिंह शेखावत ने अपनी 60 सालों के राजनीतिक जीवन में सत्यनिष्ठा से काम किया था और समाज में कई अहम बदलाव किए थे। उन्होंने सती प्रकरण और भूमि उन्मूलन जैसे कई अहम मुद्दों पर साहसिक कदम उठाए थे। भैरोसिंह शेखावत ने पार्टी पॉलिटिक्स से उपर उठकर राजनीति की थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर भैरोसिंह शेखावत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
जयपुर रियासत के गांव खाचरियावास जोकि अब सीकर के नाम से जाना जाता है, वहां पर 23 अक्तूबर 1923 को भैरोसिंह शेखावत का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम देवी सिंह शेखावत और मां का नाम बन्ने कंवर था। उन्होंने 30 किमी दूर जोबनेर से हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की, जहां पर पढ़ाई के लिए उनको पैदल जाना पड़ता था। पिता के निधन के बाद परिवार को संभालने के लिए उन्होंने खेती करना शुरू किया। हालांकि उन्होंन पुलिस की नौकरी भी की, लेकिन मन नहीं लगने पर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया और खेती करने लगे।
राजनीति में प्रवेश
साल 1952 में राजस्थान में विधानसभा की स्थापना हुई तो भैरोंसिंह ने भी अपना भाग्य आजमाया। साल 1952 से लेकर 1972 तक शेखावत राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वहीं साल 1974 से 1977 तक वह राज्यसभा सदस्य के तौर पर सेवाएं देते रहे। फिर साल 1977 से 2002 तक वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। साथ ही 1977 में वह राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बने और साल 1980 तक इस पद पर सेवाएं देते रहे।
बता दें कि साल 2002 में भैरोसिंह शेखावत सुशील कुमार शिंदे को हराकर देश के उपराष्ट्रपति बन गए। वहीं जुलाई 2007 में उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के समर्थन से निर्दलीय राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, लेकिन इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा और प्रतिभा पाटिल चुनाव जीतकर देश की अगली राष्ट्रपति बनीं। फिर 21 जुलाई 2007 को भैरोसिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।
मृत्यु
कैंसर और उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के आगे भैरोसिंह शेखावत के शरीर ने घुटने टेक दिए। वहीं 15 मई 2010 को इस लंबे जीवन सफर अंत हो गया।