US-चीन तनाव के बीच बाइडेन की सुलह की पहल, 28 जुलाई को जिनपिंग से करेंगे वार्ता, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

By अभिनय आकाश | Jul 27, 2022

अमेरिका और चीन के बीच की तनातनी किसी से छुपी नहीं है। ताइवान के मुद्दे को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं। एक तरफ तो बीजिंग यूएस हाउस की स्पीकर के ताइवान दौरे को लेकर अमेरिका को धमका रहा है। वहीं बाइडेन की तरफ से भी दौरे को लेकर संशय मंडरा रहा है। तमाम कवायदों के बीच अमेरिका ने चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। बाइडेन की तरफ से जिनपिंग से सुलह की पहल की गई है। 28 जुलाई को दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत होगी।

28 जुलाई को होगी टेलीफोनिक वार्ता

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने 28 जुलाई को टेलीफोन पर बातचीत होनी है। ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच ताजा तनाव के बीच वार्ता आयोजित की गई। 28 जुलाई को होने वाली बातचीत नेताओं के बीच पांचवीं मुलाकात होगी। अगस्त में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन ने बाइडेन प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है। एक-चीन नीति के तहत, अमेरिका के ताइवान के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन अमेरिकी कानून द्वारा द्वीप को अपनी रक्षा के लिए साधन प्रदान करने के लिए बाध्य है। 

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इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा 

बाइडन और चिनफिंग चार महीने बाद पहली बार बातचीत करेंगे। बाइडन और शी के बीच मुलाकात में उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम, यूक्रेन में रूस के युद्ध पर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच मतभेदों, ईरान परमाणु समझौते को फिर से बहाल करने की बाइडन प्रशासन की कोशिशों और ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन पर लगाए कड़े करों की अमेरिकी सरकार की समीक्षा की स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है।

दोनों देशों के बीच ताइवान को लेकर टेंशन 

इससे पहले चीन के आक्रमक रवैये पर भी बाइडेन के पीछे हटने के संकेत उनके बयानों से सामने आए थे। जब नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से चौंकाने वाला बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सेना भी पेलोसी के दौरे के पक्ष में नहीं है।  यूएस हाउस की स्पीकर ने अपने अगले महीने के ताइवान दौरे को लेकर बड़ा सनसनीखेज खुलासा किया है। अमेरिकी सेना को लगता है कि ताइवान सीमा में उनके विमान पर हवाई हमला हो सकता है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि पेलोसी की यात्रा को अमेरिका की नीति में बदलाव के तौर पर देखा जाएगा और इसे उकसावा माना जाएगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘‘अगर अमेरिका अपने रास्ते पर चलते रहने पर जोर देता है तो चीन इसका बलपूर्वक जवाब देगा और हम जो कहते हैं वही करेंगे।’’ 

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