By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 07, 2019
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामला बिहार से नयी दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का गुरुवार को आदेश दिया और आश्रय गृहों के प्रबंधन के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले से जुड़े दस्तावेजों को दो सप्ताह के भीतर बिहार की सीबीआई अदालत से पोक्सो साकेत निचली अदालत में स्थानांतरित किया जाए।
उसने साकेत की निचली अदालत को छह महीने के भीतर मामले पर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया। उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अपने अधिकारी का तबादला करने के लिए भी सीबीआई को फटकार लगाई और कहा कि यह उसके आदेश का उल्लंघन है। पीठ ने जांच एजेंसी से स्पष्टीकरण देते हुए एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा।
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शीर्ष न्यायालय ने बिहार सरकार से कहा, ‘‘बस बहुत हो गया, बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया जा सकता। आप अपने अधिकारियों को बच्चों के साथ इस तरीके से व्यवहार करने नहीं दे सकते। बच्चों को बख्शो।’’ पीठ ने कहा कि अगर राज्य सभी जानकारी देने में विफल रहा तो वह मुख्य सचिव को समन करेगा। गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद यह मामला गत वर्ष मई में प्रकाश में आया।