By अभिनय आकाश | Oct 10, 2025
राहुल गांधी के नानी के घर और सोनिया गांधी के मायके में इन दिनों भयंकर बवाल मचा है। इटली की राजनीति में इन दिनों बड़ा तूफान आया है। तूफान की चपेट में बुर्का, मस्जिदें और धार्मिक स्वतंत्रता हैं। इसका सीधा संबंध भारत की राजनीति से भी जुड़ता है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी को पीएम मोदी का खास दोस्त बताया जाता है। उन्होंने अब ऐसा कदम उठाया है। जिससे यूरोप ही नहीं पूरी दुनिया की सियासत गर्मा गई है। मेलोनी सरकार बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने जा रही है। यानी इटली में बुर्का बैन होगा। वैसे तो दुनिया में 24 देश ऐसे हैं जिन्होंने बुर्का और हिजाब पर बैन लगाया हुआ है। कई देश तो ऐसे हैं जो मुस्लिम राष्ट्र हैं उन्होंने भी धर्म निरपेक्षता के नाम पर अपने यहां बैन लगाया है। ऐसा ही एक नाम अब इटली का सामने आया है। इटली में जिस तरह से पिछले दिनों फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगे और सड़कों को जाम किया गया। लाखों लोग सड़कों पर उतरे। उन तस्वीरों ने और ज्यादा इटली के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर देश के भविष्य को कैसे सुरक्षित रखा जाए। जिस इटली को राहुल गांधी का ननिहाल कहा जाता है वहां अब मोदी की दोस्त ने ऐसा सियासी पासा फेंका है जो सीधे तौर पर भारत के कट्टरपंथियों की भी हवा निकाल रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या यूरोप में अब नए सांस्कृति टकराव की शुरुआत हो चुकी है। पहले जो फ्रांस में देखने को मिला वो अब इटली में देखने को मिल रहा है। क्या मेलोनी का ये कदम भारत की राजनीति में भी गूंजेगा?
इटली की सत्ता संभालने वाली जॉर्जिया मेलोनी ने संसद में एक बिल पेश किया है। इस बिल में कहा गया है कि देशभर में बुर्के पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। स्कूल, दुकानें हो या ऑफिस हर पबल्कि प्लेस पर अब चेहरा ढकना जुल्म माना जाएगा। मस्जिदों की फंडिंग पर निगरानी होगी। इसके अलावा जबरन धार्मिक विवाह पर रोक होगी। नकाब पहनने पर भारी जुर्माने का प्रावधान इस बिल में शामिल है। इटली की सत्तारूढ़ पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की तरफ से कहा गया हैकि देशभर में सार्वजनिक स्थानों पर नकाब और बुर्का से चेहरा और शरीर ढकने पर प्रतिबंध लगेगा। हालांकि ये प्रतिबंध अभी भी देश के कुछ हिस्सों में है। लेकिन इस विधेयक के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। पार्टी ने इस्लामी अलगाववाद के खिलाफ विरोध विधेयक बताया है। विधेयक के योजनाकारों में सांसद एंड्रिया डेल मास्ट्रो ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता पवित्र है। लेकिन इसा खुलेआम प्रयोग हमारे संविधान और इटली राज्य के सिद्धांतों का पूरा सम्मान करते हुए किया जाना चाहिए।
ओपन बॉर्डर पॉलिसी को इटली के अलावा और भी कई यूरोपीय देशों ने अपनाई थी। जिसकी वजह से पिछले 20-25 सालों में वहां बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी गए हैं। इनमें से ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से आते हैं। पालिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिबंध के तहत दुकानों, स्कूलों और दफ्तरों समेत सभी सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने पर रोक होगी। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर 300 से 3 हजार यूरो यानी लगभग 3 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने देश में बढ़ते इस्लामीकरण का आरोप लगाया। इस्लामी प्रतीकों के सार्वजनिक प्रदर्शन को सांस्कृतिक अलगाववाद के रूप में बताया है।
बुर्का बैन के साथ-साथ इसी बिल में स्जिदों की फंडिंग को भी नियंत्रित करने प्रावधान है। ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी इमीग्रेशन प्रमुख सारा कैलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बिल के बारे में बताया। उन्होंने कहा यह एक ऐसा विधेयक है जो मुख्य तौर पर मस्जिदों की फंडिंग को अनियमित करने और पूरे चेहरे को ढकने वाले नकाब के उपयोग को रोकने और उस पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित होगा। यह जबरन शादी के विरुद्ध कानून पर भी जोर देता है। केलानी ने आगे कहा कि हम इटली में अपने कानूनों को लागू करते हैं जो विशिष्ट मूल्यों पर आधारित है। डेल मास्टरों ने कहा कि इटली ने फ्रांस से प्रेरणा ली है जो 2011 में बुर्के पर बैन लगाने वाला पहला यूरोपीय देश था। इसके बाद बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और यूरोप के कई देशों ने इस पहल की शुरुआत की। इस्लाम से संबंधित महिलाओं के कपड़ों पर पूर्ण का आंशिक प्रतिबंध लगा दिया।
इटली की कुल आबादी लगभग 60 मिलिनयन है। जिसमें से मुस्लिम आबादी 17 लाख से लेकर 27 लाख बताई जा रही है। जो कुल आबादी का लगभग 5 फीसदी होने का अनुमान है। आईएसएमयू 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार विदेशी निवाशियों में से जितने भी प्रवासी इटली आए हैं उनमें 30 फीसदी मुसलमान हैं, जो मोरक्को, अल्बानिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आए हुए हैं। पीयू रिसर्च के अनुसार 2.3 से 2.7 मिलियन तक ये आंकड़़ा हो सकता है। ये अपने आप में डराने वाला आंकड़ा है। यूरोप के कुछ देशों में पिछले दो तीन सालों से विशेषकर फ्रांस में जिस तरह से तांडव देखने को मिला। 2023 में हफ्ते भर तक फ्रांस जलता रहा था, जिसका एक बड़ा कारण ओपन बॉर्डर पॉलिसी को बताया गया था।
नया बिल सिर्फ चेहरा ढकने वाले कपड़ों तक सीमित नहीं है। इसमें उन धार्मिक संगठनों पर भी निगरानी की बात कही गई है जो इटली की सरकार के साथ औपचारिक समझौते में नहीं है। फिलहाल इस्लाम को इटली में वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। जबकि 13 अन्य धर्मों के पास यह अधिकार है। इसलिए यह बिल मुस्लिम संगठनों को अपने फंडिंग सोर्सेज सार्वजनिक करने और संदिग्ध फाइनेंसरों से दूरी रखने को अनिवार्य करता है। इसके साथ यह कानून वर्जिनिटी टेस्ट कराने वालों पर भी सजा का प्रावधान लाता है और जबरन धार्मिक विवाहों में धार्मिक दबाव को अपराध की श्रेणी में लाता है। फिलहाल इटली की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के पास संसद में पूर्ण बहुमत है। इसलिए इस बिल के पारित होने की संभावना बेहद मजबूत है।
इटली से इतर भारत में हिजाब और बुर्के का मुद्दा लगातार चर्चा में रहता है। कॉलेजों में हिजाब के मुद्दे को लेकर ये अदालत के दरवाजे तक भी पहुंच चुका है। हालांकि भारत में बुर्का बैन होना फिलहाल संभव नहीं लगता क्योंकि यह बेहद संवेदनशील और विवादास्पद विषय है और भारत एक धर्मनिरपेक्ष यानी सेकुलर राष्ट्र है जहां संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता की पूरी गारंटी दी जाती है। जिसका सीधा फायदा कट्टरपंथी उठाते भी हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसी बीच बीजेपी ने अचानक बुर्का बैन की मांग उठाकर सियासी तापमान बढ़ाया था। इससे विपक्षी पार्टी खासकर आरजेडी और कांग्रेस बहुत परेशान हो उठी थी। बीजेपी नेताओं का कहना है कि वोटिंग केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने की अनुमति से पहचान छिपाने और फर्जी वोटिंग की आशंका बढ़ती है।