शरीर में खोजा सुरक्षा गार्ड, ट्रंप से पहले कैसे नोबेल ले उड़े ये तीन वैज्ञानिक

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप पिछले कार्यकाल से ही नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दांव लगाए बैठे हैं। ट्रंप की तमन्ना है कि जैसे कभी ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। इन्हें भी शांति पुरस्कार दे दिया जाए।
नोबल पुरस्कारों की घोषणा होनी शुरू हो चुकी है। अलग अलग दिन अलग अलग कैटेगरी में पुरस्कार दिए जाते हैं। इसी क्रम में शांति पुरस्कार की भी बारी आएगी। 10 अक्टूबर को शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। ऐसे में नोबेल पुरस्कार से ज्यादा किस विषय में किसको मिला इस पर दिलचस्पी रहती है। फिजिक्स, मेडिसिन के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में 10 तारीख को जब नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो रही होगी तो हर किसी की नजर इस बात पर रहेगी कि आखिर शांति का नोबेल पुरस्कार किस महान हस्ती को मिलेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप पिछले कार्यकाल से ही नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दांव लगाए बैठे हैं। ट्रंप की तमन्ना है कि जैसे कभी ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। इन्हें भी शांति पुरस्कार दे दिया जाए।
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इलाज का भविष्य बदलने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल
2025 का नोबेल पुरस्कार फिजियोलॉजी यानी कि मेडिसिन में अमेरिका की मैरी ई ब्राक अमेरिका के फ्रेड रामसडेल और जापान के शिमोन साकागूची को दिया गया है। यह पुरस्कार उनकी पेरिफेरल इम्यूनिटी टॉलरेंस यानी कि शरीर के बाहरी हिस्सों में इम्यूनिटी सिस्टम की सहनशीलता से जुड़ी खोजों के लिए है। यह खोज शरीर की रक्षा प्रणाली को समझने में क्रांति लाई है। ऑटोइम बीमारियों जैसे कि रूमेटाइड, ऑर्थोराइटिस, टाइप वन डायबिटीज और ल्यूपस से इलाज का रास्ता खोलेगी। रिसर्च से यह भी समझने में मदद मिली कि शरीर इम्यून रिस्पॉन्स कैसे कंट्रोल करता है। कब सिस्टम गड़बड़ाता है। इससे वैज्ञानिक बीमारियों की जड़ तक पहुंच पा रहे हैं व इलाज के नए तरीके ढूंढ़ पा रहे हैं। यह खोज कई गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
इम्यूनिटी टॉलरेंस क्या है?
हमारा शरीर इम्यूनिटी सिस्टम यानी कि रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस या बैक्टीरिया जैसे खतरे से हमेशा लड़ता है। लेकिन कभी-कभी यह सिस्टम गलती से अपने ही अंगों पर हमला कर देता है जिसे ऑटोइम बीमारी कहते हैं। वैज्ञानिकों को लगता था कि इम्यूनिटी सेल्स शरीर के अंदर ही टॉलरेंट बन जाती है जिसे सेंट्रल इम्यूनिटी टॉलरेंस कहते हैं। लेकिन विजेताओं ने दिखाया है कि शरीर के बाहरी हिस्सों में भी एक खास तंत्र काम करता है जो इम्यूनिटी सिस्टम को नियंत्रित रखता है। इससे शरीर के अंग सुरक्षित रहते हैं।
ये है खोज और उससे फायदा
इम्यून सिस्टम जब किसी वायरस या बैक्टीरिया से लड़ता है, तो कभी-कभी गलती से वह अपने ही अंगों या सेल्स पर हमला कर सकता है।
रेगुलेटरी-सेल्स नाम के सुरक्षा गार्ड सेल्स की पहचान की, यही सेल्स इम्यून सिस्टम को अपने ही अंगों पर हमला करने से रोकते हैं।
इस खोज से कैंसर, ऑटोइम्यून रोग और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इलाज में नई राह खुली, कई इलाज क्लिनिकल ट्रायल के दौर में हैं।
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कब हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना
नोबेल प्राइज की स्थापना 1895 में की गई थी और पुरस्कार 1901 में दिया गया। 1901 से 2024 तक मेडिसिन की फील्ड में 229 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है।
10 दिसंबर को ही क्यों दिए जाएंगे पुरस्कार ?
पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को होगा, जो इन पुरस्कारो की स्थापना करने वाले अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है। नोबेल डायनामाइट के आविष्कारक थे। उनका निधन 1896 में हुआ था।
ट्रंप को मिलेगा या नहीं शांति का नोबेल
लोगों की दिलचस्पी यह जानने में है कि शांति का नोबेल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को दिया जाता है या नहीं? तो वह घड़ी नजदीक आ चुकी है, जब शाति के नोबेल का ऐलान होने वाला है। 2018 से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रप को कई बार नोबेल शाति पुरस्कार के लिए नामित किया जा चुका है। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने अब तक कई युद्ध रुकवाए हैं। वहीं, नोबेल समिति के एक सदस्य ने कहा था कि इस बार ट्रंप के नाम पर विचार करना मुश्किल होगा, क्योंकि जिन उपलब्धियों के नाम पर उनका दावा किया जा रहा है, वह नोबेल नॉमिनेशन की आखिरी तारीख के बाद की है।
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