सुशांत सिंह राजपूत का मौत का सच जानने के लिए रिया चक्रवर्ती का पॉलीग्राफ टेस्ट करा सकती है CBI

By रेनू तिवारी | Aug 29, 2020

रिया चक्रवर्ती सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की मुख्य आरोपी हैं। सुशांत के परिवार ने अपनी एफआईआर में सुशांत सिंह राजपूत को सुसाइड के लिए उकसाने और उनके 15 करोड़ हड़पने का आरोप लगाया है। रिया चक्रवर्ती ने सुशांत की मौत के ढाई महीने बाद मीडिया में सामने आकर अपनी बात कहीं। रिया ने परिवार की तरफ से लगाए सभी आरोपों को खारिज किया। वहीं ये भी कहा कि सुशांत ड्रग्स लेता था और सुशांत के संबंध उसके परिवार के साथ अच्छे नहीं थे। रिया के इंटरव्यू को पूरी तरह से परिवार ने झूठ कहा है। उन्होने कहा कि रिया की जल्द से जल्द गिफ्तार हो। वो झूठ बोल बोल कर लोगों को गुमराह कर रही है। रिया कई ऐसे भी बयान दिए है जिससे परिवार , फैंस और दोस्त काफी आहत हुए है, जैसे सुशांत को फ्लाइट ने बैठने से डर लगता है। यूरोप ट्रिप की कहानी आदि। 

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अब केस सीबीआई के हाथ में सुशांत सिंह राजपूत के घर में मौजूद सिद्धार्थ पिठानी, दिपेश, नीरज से पिछले 9 दिन से पूछताछ हो रही है। सुशांत की मौत के समय यहीं लोग घर में मौजूद थे। पिछले दो दिन से रिया चक्रवर्ती को भी सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया हैं। रिया पिछले मुंबई पुलिस, मीडिया , ईडी, सीबीआई को एक ही बयान दे दे कर रिया चक्रवर्ती अब पूरी तरह से ट्रेंड हो चुकी है। सीबीआई सुशांत की मौत का सच जानने के लिए पहले सुशांत की साइकोलॉजिकल अटॉप्सी करनाने का फैसला किया है। वहीं अब जानकारी सामने आ रही हैं कि रिया चक्रवर्ती, सिद्धार्थ पिठानी सहित अन्य संदिग्ध का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाएगा। 

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सूत्रों के हवाले से खबर है कि बयान की सच्चाई जानने के लिए ये पॉलीग्राफ टेस्ट करवाना जरूरी है। पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के लिए पहले कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है। सीबीआई अब पॉलीग्राफ टेस्ट के प्रोसेज को फोलो करने वाली है। 

 पॉलीग्राफ यह एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग झूठ पकड़ने के लिए किया जाता है। खास कर इसका प्रयोग तब किया जाता है जब किसी अपराध का पता लगाना हो । पॉलीग्राफ टेस्ट मसीन को झूठ पकड़ने वाली मसीन और लाई डिटेक्टर के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खोज जॉन अगस्तस लार्सन 1921 ई के अंदर की थी। इसमें संदिग्ध से प्रश्नों की एक श्रृंखला पूछे जाने के दौरान उसमें होने वाले दैहिक परिवर्तनों जैसे रक्तचाप, नाड़ी, श्वसन और त्वचा संबंधी बदलावों पर नजर रखी जाती है।


 

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