By अनुराग गुप्ता | Dec 18, 2021
7 जुलाई 1965 को प्रतिभा पाटिल के जीवन में एक खूबसूरत बदलाव हुआ। दरअसल, इस दिन देश की पहली महिला महामहिम अमरावती के महापौर डॉ. देवी सिंह शेखावत के साथ शादी के बंधन में बंध गईं। जिसके बाद उन्हें प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के नाम से जाना जाने लगा। इन दोनों का एक बेटा और एक बेटी है। बेटा राजेंद्र सिंह शेखावत उर्फ रावसाहेब शेखावत महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं और अमरावती की राजनीति में उनकी अच्छी खासी पकड़ है।
राजनीतिक सफरग्रैंड ओल्ड पार्टी की सदस्य प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 1962 से लेकर 1985 तक लगातार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रहीं। 27 साल की उम्र में ही वो जलगांव से विधानसभा पहुंचीं। इस दौरान 1967 से लेकर 1972 तक महाराष्ट्र सरकार में उपमंत्री और फिर 1972 से 1974 तक समाज कल्याण मंत्री का प्रभार संभाला। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार में जन स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय, संस्कृति एवं पुनर्वास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय, खाद्य एवं समाज कल्याण मंत्रालय का पदभार भी संभाल है।
महिलाओं को सशक्त बनाने में अपना जीवन व्यत्तीत करने वालीं प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अर्श से लेकर फर्श तक का सफर तय किया और अलग-अलग विभागों का जिम्मा संभाला।इसके अलावा जुलाई 1979 से फरवरी 1980 तक प्रतिभा देवी सिंह पाटिल महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष की नेता रही हैं। इसके बाद उन्होंने केंद्र की राजनीति की तरफ अपना रुख किया और 1985 में पहली बार उच्च सदन के लिए चयनित हुईं। इस दौरान 18 नवंबर 1986 से 5 नवंबर 1988 तक राज्यसभा उपसभापति के पद पर, 1986 से 1988 तक विशेषाधिकार समिति सभापति के पद पर और 1991 में गृह समिति के सभापति के पद पर रही हैं। साल 1991 के चुनाव में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अमरावती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया।
साल 2004 से 23 जून 2007 तक राजस्थान के राज्यपाल पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कार्य किया और फिर वो लम्हा आया जब भारत को पहली महिला राष्ट्रपति मिली। आपको बता दें कि, यूपीए ने 14 जून 2007 को प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी भैरोसिंह शेखावत को तकरीबन 3 लाख वोट से हराया फिर वो 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति बनीं। इसके बाद 25 जुलाई 2012 को उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में नव निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना कार्यभार सौंपा था।