सैयद अकबरुद्दीन ने पिता से सीखे डिप्लोमेसी के गुर और संयुक्त राष्ट्र में हमेशा मजबूती से रखा था भारत का पक्ष

By अनुराग गुप्ता | Apr 27, 2022

नयी दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रह चुके सैयद अकबरुद्दीन 1985 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं। उन्होंने कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष मजबूती से रखा है। जिसकी वजह से उनकी खूब सराहना होती है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों के समाप्त होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान द्वारा किए गए हो हल्ले का बड़े सूझ-बूझ के साथ जवाब दिया था। इसके अलावा उनके प्रयासों के दम पर ही संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किया था। 

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कौन हैं सैयद अकबरुद्दीन ?

1985 बैच के आईएफएस अधिकारी सैयद अकबरुद्दीन ने 1995 से 1998 तक संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के पहले सेक्रेटरी के रूप में काम किया था। अपने करियर में सैयद अकबरुद्दीन ने भारत और विदेशों में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। सैयद अकबरुद्दीन को पश्चिमी एशिया का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। साल 2000 से 2004 तक वो सऊदी अरब के जेद्दा में काउंसल जेनरल ऑफ इंडिया के पद पर रहे। इसके बाद उन्हें साल 2004 में फॉरन सेक्रेटरी ऑफिसर पद पर नियुक्त किया गया। सैयद अकबरुद्दीन 2006 से 2011 तक आईएईए में भारतीय प्रतिनिधि थे।

भारतीय विदेश नीति को आगे बढ़ाने का काम करने वाले सैयद अकबरुद्दीन ने साल 2015 में हुए भारत-अफ्रीका समिट के कोडिनेटर रह चुके हैं। उन्होंने साल 2012 से 2015 तक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। साऊदी अरब और मिश्र में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं। सैयद अकबरुद्दीन ने जनवरी 2016 से अप्रैल 2020 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर काम किया है। 

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निजी जीवन

सैयद अकबरुद्दीन का जन्म हैदराबाद में 27 अप्रैल, 1960 को हुआ था। उनके पिता सैयद बशीरुद्दीन हैदराबाद की उस्मानिया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख थे और सैयद बशीरुद्दीन को कतर में भारतीय राजदूत के तौर पर नियुक्त भी किया जा चुका था। सैयद अकबरुद्दीन की मां जेबा अंग्रेजी की प्रोफेसर थीं। सैयद अकबरुद्दीन ने हैदराबाद पब्लिक स्कूल से शुरुआती शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मास्टर्स किया। सैयद अकबरुद्दीन ने अपने पिता से डिप्लोमेसी के गुर सीखे।

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