उद्धव ठाकरे के चलते छोड़नी पड़ी थी शिवसेना और फिर जाना पड़ा जेल, उतार-चढ़ाव भरा रहा नारायण राणे का राजनीतिक जीवन

Narayan Rane
प्रतिरूप फोटो

नारायण राणे ने 1960 में शिवसेना के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और उनका राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। साल 1999 में नारायण राणे को महाराष्ट्र का 13वां मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ था लेकिन उनका कार्यकाल छोटा रहा। दरअसल, विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का शिवसेना के साथ विवाद काफी पुराना है। ऐसे में आए दिन नारायण राणे और शिवसेना नेताओं के बीच तू-तू मैं-मैं होती रहती है। हाल ही में नारायण राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लाचार सीएम करार दिया है। उन्होंने मानना है कि उद्धव ठाकरे राज्य चलाने में नाकाबिल हैं। एकबार तो उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते नारायण राणे की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। हालांकि आधीरात को उन्हें जमानत मिल गई थी।

इसे भी पढ़ें: वित्त मंत्री बनने की उम्मीद रखने वाले जयराम रमेश को जब सोनिया गांधी ने दिया था पर्यावरण मंत्रालय संभालने का प्रस्ताव 

नारायण राणे ने 1960 में शिवसेना के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। साल 1999 में नारायण राणे को महाराष्ट्र का 13वां मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ था लेकिन उनका कार्यकाल छोटा रहा। दरअसल, विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।

कौन हैं नारायण राणे ?

एक क्लर्क के रूप में जीवन की शुरुआत करने वाले नारायण राणे ने शिवसेना शाखा प्रमुख बनने से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का तक का सफर तय किया। इसके अलावा वो विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने। हालांकि बालासाहेब ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले नारायण राणे को उद्धव ठाकरे के चलते पार्टी से निकाल दिया गया।

जब सोनिया से मांगी थी माफी

नारायण राणे ने साल 2005 में कांग्रेस का हाथ थामा और उन्हें उद्योग और राजस्व मंत्री बनाया गया। लेकिन जब कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया तो इससे नाराज होकर नारायण राणे ने खूब बयानबाजी की। जिसके चलते उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया। हालांकि उन्होंने तब की अध्यक्षा सोनिया गांधी से माफी मांगी और फिर उनका निलंबन समाप्त हो गया।

राणे ने बनाई थी खुद की पार्टी

नारायण राणे ने साल 2017 में कांग्रेस का साथ छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया। उस वक्त उन्होंने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का गठन किया। लेकिन 2018 में भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। नारायण राणे ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। जिसकी बदौलत उन्हें केंद्रीय मंत्री पद मिल सका। 

इसे भी पढ़ें: गुजरात में कांग्रेस के सबसे धाकड़ नेता हैं शक्तिसिंह गोहिल, विधानसभा चुनाव में बिखेरेंगे अपना जलवा 

बीएमसी चुनाव देश

की सबसे अमीर महानगरपालिका के रूप में जानी जाने वाली बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का चुनाव होने वाला है। माना जा रहा है कि नारायण राणे बीएमसी चुनाव में भाजपा के लिए संकटमोचक का काम कर सकते हैं। जब से नारायण राणे ने भाजपा में शामिल हुए हैं तब से शिवसेना पर ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे हैं और कई दफा तो शिवसेना और नारायण राणे आमने-सामने भी दिखाई दिए हैं, चाहे गिरफ्तारी का मामला हो या फिर बंगला का।

32 साल तक शिवसेना में रहने वाले नारायण राणे ठाकरे परिवार की अंदरूनी हकीकत से वाकिफ हैं और तो और उनकी रणनीतियों को भी भेदने के काबिल हैं। ऐसे में भाजपा नारायण राणे को बीएमसी चुनाव में शिवसेना को परास्त करने का जिम्मा सौंप सकती है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़