चीनी उद्योग को राहत पहुंचाने के लिए खाद्य मंत्रालय ने की पहल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 23, 2018

नकदी की तंगी झेल रहे चीनी उद्योग को राहत पहुंचाने के लिये खाद्य मंत्रालय ने पहल की है। मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने और चीनी का न्यूनतम एक्स-मिल मूल्य तय करने के लिये कैबिनेट नोट का मसौदा जारी किया है। चीनी मिलों के नकदी संकट के चलते किसानों का गन्ने का बकाया 22,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। चीनी का रिकार्ड उत्पादन होने और दाम गिरने से यह संकट खड़ा हुआ है।

 

खाद्य मंत्रालय की यह पहल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चीनी उद्योग की स्थिति पर पत्र लिखे जाने के बाद की गई है। पवार ने प्रधानमंत्री से बाजार में चीनी के भारी स्टॉक को देखते हुये तुरंत हस्तक्षेप का आग्रह किया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गन्ना उत्पादन अधिक रहने से इस साल अब तक चालू सत्र विपणन सत्र (अक्तूबर-सितंबर) 2017-18 में चीनी उत्पादन 3.16 करोड़ टन की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।

 

उच्चस्तरीय सूत्र ने बताया, ''प्रधानमंत्री कार्यालय और सचिवों की समिति दोनों के स्तर पर पवार के सुझावों पर विचार विमर्श करने के बाद खाद्य मंत्रालय ने दो-तीन हस्तक्षेपों के साथ मंत्रिमंडल नोट का मसौदा तैयार किया।’’ खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव किया है। इसके साथ ही चीनी का न्यूनतम एक्स-मिल दाम 30 रुपये किलो के आसपास तय करने, प्रत्येक मिल के लिये कोटा निर्धारित कर मिलों की स्टॉक सीमा रखे जाने और मिलों के लिए खुले बाजार में चीनी बेचने का मासिक चीनी कोटा जारी करने की व्यवस्था फिर शुरू करने जैसे कदम उठाने का प्रस्ताव किया है। चीनी का मिल पर मूल्य इन दिनों 25.60 से 26.22 रुपये प्रति किलो ग्राम के दायरे में चल रहा है। यह दाम उनकी लागत से कम बताया जा रहा है।

 

मिलों का राजस्व बढ़ाने के लिये पवार ने अपने पत्र में कुछ अन्य सुझाव भी दिये हैं। उन्होंने राज्यों में सीरे के आवागमन, एथनॉल की बिक्री पर अनाप-शनाप कर लगाने पर रोक का सुझाव दिया है। इसके अलावा उन्होंने एथनॉल की बिक्री पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने को भी कहा है। सूत्रों ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय एथनॉल मुद्दे पर जबकि वित्त मंत्रालय चीनी मिलों को वित्तीय पैकेज देने पर गौर कर रहा है। सरकार ने इससे पहले चीनी मिलों को मदद पहुंचाने के लिये गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान करने में मदद के लिये मिलों को 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी देने को मंजूरी दिया। सरकार ने चीनी आयात पर अंकुश लगाने के लिये आयात शुल्क दोगुनी कर 100 प्रतिशत कर दी जबकि निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया गया। मिलों से 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने को भी कहा गया है।

 

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