गुवाहाटी।
असम सरकार में मंत्री
हेमंत बिस्व सरमा ने रविवार को कहा कि
कांग्रेस नेता
राहुल गांधी “अरबी बोलने वालों” से सलाह लेते हैं और इसीलिए राज्य में उनकी पहली चुनावी रैली असफल रही। उनका इशारा संभवत: आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष
बदरुद्दीन अजमल की तरफ था। राज्य में मार्च-अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने एआईयूडीएफ और चार अन्य पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन किया है। सरमा ने कांग्रेस को अवैध मुस्लिम प्रवासियों के विरुद्ध रूख अपनाने की चुनौती भी दी।
गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा नेता ने संवाददाताओं से कहा कि शिवसागर जिले में जिस बोर्डिंग मैदान में गांधी ने जनसभा को संबोधित किया था, उसकी क्षमता 12000-15000 लोगों की है। उन्होंने कहा कि गांधी की जनसभा में अधिक लोग नहीं आए थे। हालांकि, कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि रैली में पचास हजार से ज्यादा लोगों ने राहुल गांधी को सुना। सरमा ने कहा, “वह (गांधी) वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जनसभा को संबोधित कर सकते थे। वह चार्टर्ड विमान से आए और उसके बाद गंतव्य तक पहुंचने के लिए उन्होंने हेलीकाप्टर का प्रयोग किया। वहां सीआरपीएफ की सुरक्षा थी, प्रशासन के लोगों ने इसके लिए अथक परिश्रम किया। इसमें लगभग 35 लाख रुपये खर्च हुए। मुझे लगता है कि यह पैसा बर्बाद हो गया।”
एक समय में राहुल गांधी के करीबी रहे सरमा ने कहा कि गांधी को लोगों से मिलने के लिए कामाख्या मंदिर, बटद्रवा और माजुली जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “जितने लोगों से वह आज की रैली में मिले, इस प्रकार उससे अधिक लोगों से वह मिल सकते थे। वह व्यस्त व्यक्ति हैं और उनके पास किसान आंदोलन चलाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य हैं। वह अरबी भाषी लोगों से सलाह ले रहे हैं और इसीलिए चीजें गलत दिशा में चली गईं।” अरबी भाषी लोगों से सरमा का तात्पर्य अजमल से था जो धुबरी से लोकसभा सदस्य हैं। अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के 14 विधायक हैं जिनमें से अधिकतर असम के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से आते हैं।