भारत के परमाणु बम जखीरे की बढ़ी रफ्तार, चीन-पाक हैरान, इस्लामाबाद-बीजिंग सब बस एक बटन की दूरी पर

By अभिनय आकाश | Sep 25, 2025

एशिया में परमाणु ताकत की जंग एक नए मोड़ पर है। भारत ने ऐसी मिसाइलें बना ली है जो चीन और पाकिस्तान के किसी भी कोने में परमाणु बम गिरा सकती है। अग्नि-5 का हालिया टेस्ट और उसका एडवांस्ड एमआईआरवी वर्जन अब सिर्फ हथियार नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश है कि भारत अब किसी से पीछे नहीं है। भारत, चीन और पाकिस्तान ये तीनों पड़ोसी देश दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु सशस्त्रगार में गिने जाते हैं। चीन के पास करीब 600 परमाणउ वारहेड है। पाकिस्तान के पास 170 है और भारत ने हाल ही में अपनी संख्या बढ़ाकर 180 वारहेड की कर ली है। तीनों के पास लंबी दूरी की मिसाइलें है। लेकिन फर्क ये है कि भारत और चीन के पास जमीन, आसमान और समुद्र तीनों रास्तों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता है। जबकि पाकिस्तान के पास अभी भी समुद्र आधारित लॉन्च की सुविधा नहीं है। यानी जंग की स्थिति में भारत और चीन परमाणु त्रिकोण पूरा कर सकते है। 

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वैसे इंडो पैसेफिक डिफेंस फोरम के मुताबिक भारत ने अगस्त 2025 में ओडिशा के प्रक्षेपण स्थल से अपनी सबसे खतरनाक बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल प्रक्षिक्षण किया। ये तीन चरणों वाली इंटरमिडियेट मिसाइल सिस्टम है। इसकी मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा है। ये आसानी से चीन पाकिस्तान और एशिया के बड़े हिस्सों को टारगेट कर सकती है। यानी दिल्ली से बीजींग या शंघाई सब एक बटन की दूरी पर है। लेकिन असली गेम चेंजर इसका एमआईआरवी वैरियेंट है। इस तकनीक से एक ही मिसाइल कई अलग अलग वारहेड लेकर जाती है और दुश्मन के कई ठिकानों को एक साथ तबाह कर सकता है। साल 2024 में भारत ने इसका सफल ट्रायल किया और दुनिया को साफ संदेश दिया कि हम सिर्फ रेंज नहीं सटीकता और मल्टी टारगेट स्ट्राइक में भी आगे बढ़ चुके हैं।  

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अब 25 सितंबर को भारत ने अग्नि-प्राइम, जो एक उन्नत मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। सरल शब्दों में कहें तो, भारत ने इस मिसाइल का परीक्षण एक ट्रेन से किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अभ्यास को अपनी तरह का पहला अभ्यास बताते हुए इस उपलब्धि के लिए राष्ट्र और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी। 

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रेल-आधारित प्रक्षेपण का महत्व

अग्नि-प्राइम का रेलकार से प्रक्षेपण महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह इस तकनीक के उपयोगकर्ता को देश भर में गतिशीलता प्रदान करता है और कम दृश्यता के साथ कम प्रतिक्रिया समय में प्रक्षेपण करने में सक्षम बनाता है। कल्पना कीजिए: वर्तमान में,अग्नि-प्राइम जैसी अधिकांश उन्नत मिसाइलें बड़ी होती हैं और उन्हें ले जाना आसान नहीं होता। इसी कारण, इन्हें पारंपरिक रूप से स्थिर मिसाइल साइलो से प्रक्षेपित किया जाता है। हालाँकि, कुछ मिसाइलों को अब वाहनों पर लगाया जा रहा है, लेकिन बहुत कम देश इन्हें ट्रेनों पर लगा पाए हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मिसाइलों को स्थिर साइलो में रखने से उन पर हमले का खतरा कम होता है। इसलिए, उन्हें गतिशील वस्तुओं पर स्थानांतरित करने से उन पर पूर्व-आक्रमण का खतरा कम हो जाता है।


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